बेहतरीन रचना!
तेरी मासूमियत से थोड़ी शोखी चुरा के,सर्द हवा भी तेरे हुस्न को नहीं पहरेगी,बहुत बढ़िया!गजल में सदभावना के दर्शन परिलक्षित हो रहे हैं।
khoobsurat alfaaz..rumaaniyat liye jazbaat..
बर्गे-गुल(४) तेरे होटों को इक बार छूने दे,बाद उसके फिर मेरी रूह नहीं सिहरेगी !Kya gazab gazal kahee hai! Waah!
उर्दू शहद मिलाकर अपने रचना में और मिठास भर दी। अद्भुत।
तेरी मासूमियत से थोड़ी शोखी चुरा के,सर्द हवा भी तेरे हुस्न को नहीं पहरेगी,bahut sunder nazmpadh kar man khush ho gaya
waah waah...........behad umda.
सुन्दर है.
Another wonderful jewel from your collection of precious stones...this time with an added attraction of a pic...keep writing!
kya baat haihar baar ek naya rang dekhne ko milta hai
भाई सुरेन्द्र जी बड़ी ही खुबसूरत रचना की आपनेबहुत बहुत आभार
I think Its my wish, but written by you, bcz as u remeber i couldn't say anything.http://sweetgabru.blogspot.com/2009/10/what-should-i-do.html
तेरी मासूमियत से थोड़ी शोखी चुरा के,सर्द हवा भी तेरे हुस्न को नहीं पहरेगी,वाह बहुत सुन्दर रचना है उर्दू के सभी शब्द मेरे लिये नये थी अर्थ दे कर अच्छा किया । बहुत अच्छे जा रहे हो शुभकामनायें
बहुत बढ़िया कहा आपने ..अच्छा लगा आपका लिखा पढ़ना शुक्रिया
बहुत सुन्दर रचना लिखा है आपने! हर एक पंक्तियाँ बहुत अच्छी लगी ! इस लाजवाब और बेहतरीन रचना के लिए बधाई!
WAAH...LAJAWAAB RACHNA AUR PRASTUTI KA NAAYAAB DHANG....BAHUT HI SUNDAR !!!
Surendra ........shabd -shabd khoobsoorat hai....aur ye prayog bhi achcha laga ...bas ek request hai...Letters seedhey rakhiye...curve na dijiye pls.
आपको और आपके परिवार को वसंत पंचमी और सरस्वती पूजन की हार्दिक शुभकामनायें!
बेहतरीन रचना!
जवाब देंहटाएंतेरी मासूमियत से थोड़ी शोखी चुरा के,
जवाब देंहटाएंसर्द हवा भी तेरे हुस्न को नहीं पहरेगी,
बहुत बढ़िया!
गजल में सदभावना के दर्शन परिलक्षित हो रहे हैं।
khoobsurat alfaaz..
जवाब देंहटाएंrumaaniyat liye jazbaat..
बर्गे-गुल(४) तेरे होटों को इक बार छूने दे,
जवाब देंहटाएंबाद उसके फिर मेरी रूह नहीं सिहरेगी !
Kya gazab gazal kahee hai! Waah!
उर्दू शहद मिलाकर अपने रचना में और मिठास भर दी। अद्भुत।
जवाब देंहटाएंतेरी मासूमियत से थोड़ी शोखी चुरा के,
जवाब देंहटाएंसर्द हवा भी तेरे हुस्न को नहीं पहरेगी,
bahut sunder nazm
padh kar man khush ho gaya
waah waah...........behad umda.
जवाब देंहटाएंसुन्दर है.
जवाब देंहटाएंAnother wonderful jewel from your collection of precious stones...this time with an added attraction of a pic...keep writing!
जवाब देंहटाएंkya baat hai
जवाब देंहटाएंhar baar ek naya rang dekhne ko milta hai
भाई सुरेन्द्र जी
जवाब देंहटाएंबड़ी ही खुबसूरत रचना की आपने
बहुत बहुत आभार
I think Its my wish, but written by you, bcz as u remeber i couldn't say anything.
जवाब देंहटाएंhttp://sweetgabru.blogspot.com/2009/10/what-should-i-do.html
तेरी मासूमियत से थोड़ी शोखी चुरा के,
जवाब देंहटाएंसर्द हवा भी तेरे हुस्न को नहीं पहरेगी,
वाह बहुत सुन्दर रचना है उर्दू के सभी शब्द मेरे लिये नये थी अर्थ दे कर अच्छा किया । बहुत अच्छे जा रहे हो शुभकामनायें
बहुत बढ़िया कहा आपने ..अच्छा लगा आपका लिखा पढ़ना शुक्रिया
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना लिखा है आपने! हर एक पंक्तियाँ बहुत अच्छी लगी ! इस लाजवाब और बेहतरीन रचना के लिए बधाई!
जवाब देंहटाएंWAAH...LAJAWAAB RACHNA AUR PRASTUTI KA NAAYAAB DHANG....
जवाब देंहटाएंBAHUT HI SUNDAR !!!
Surendra ........shabd -shabd khoobsoorat hai....aur ye prayog bhi achcha laga ...bas ek request hai...Letters seedhey rakhiye...curve na dijiye pls.
जवाब देंहटाएंआपको और आपके परिवार को वसंत पंचमी और सरस्वती पूजन की हार्दिक शुभकामनायें!
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