मुझे निराशा पसंद नहीं, बस चार पंक्ति और जोड़ लें इस नज़्म में: मगर फिर ये सोचा कि तू बेवफा हो नहीं सकती, तू भी शायद मेरी तरह, मजबूर है, मुंतजि़र है, बेकरार है एक लम्हे के लिये, जब हम फिर मिलेंगे, बैठेंगे, बातें करेंगे, वादा करेंगे, फिर से मिलने का। आमीन।
हे प्रिय सुरेन तुम सदैव अच्छा लिखते हो। लेकिन तुम से आग्रह है कि तुम इनको टेक्सट ही रहने दो। जब कोई व्यक्ति गूगल पर सर्च करे तो फटाक से तुम्हारी कविता निकालकर सामने आ जाए। मुझे उम्मीद है, मेरे सुझाव पर तुम गौर करोगे।
Aap iss tarah likhte rahenge toh chaahne waaley badte jaayenge :) jo aise kalaakar ko kaise marne denge ;-) hehe! Romantic poems ke baadshaah hai aap! Dil mein ghar kar gayaa har lafz aur chooh gayaa mann ko mere :) Bahut khoob.......... Umdaaaah
बहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएंhttp://qatraqatra.yatishjain.com/?p=99
गज़ब के भावों से लबरेज़ यादें हैं………………बहुत ही सुन्दर्।
जवाब देंहटाएंबहुत कलात्मक प्रस्तुति...वाह...अच्छी रचना...
जवाब देंहटाएंनीरज
mujhe lagaa......ismen abhi kuchh gunjaayis hai....!!yun to bhaav kee drishti se acchhi hai...!!
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया और ख़ूबसूरत रचना लिखा है आपने जो काबिले तारीफ़ है!
जवाब देंहटाएं"अब मौत की बाहों में खुद को बुला लें!"
जवाब देंहटाएंहर शेर दाद के काबिल है!
मुबारकवाद!
मुझे निराशा पसंद नहीं, बस चार पंक्ति और जोड़ लें इस नज़्म में:
जवाब देंहटाएंमगर फिर ये सोचा कि तू बेवफा हो नहीं सकती,
तू भी शायद मेरी तरह, मजबूर है, मुंतजि़र है,
बेकरार है एक लम्हे के लिये, जब हम फिर मिलेंगे,
बैठेंगे, बातें करेंगे, वादा करेंगे, फिर से मिलने का।
आमीन।
बहुत ही अच्छे भाव हैं..लेकिन ज़रा सा मैं श्रीमान तिलकराज जी की बात से भी सहमत हूँ...बाकी बहुत संदर यादें हैं...आभार
जवाब देंहटाएंBehad dard bhari rachana...bhagvaan na kare, yah kisika asli jeeven ho!Ameen!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना, लेकिन सच है, आशा पर आकाश टिका है, तब इतनी निराशा क्यों?
जवाब देंहटाएंRamnavmi mubarak ho!
जवाब देंहटाएंहे प्रिय सुरेन तुम सदैव अच्छा लिखते हो। लेकिन तुम से आग्रह है कि तुम इनको टेक्सट ही रहने दो। जब कोई व्यक्ति गूगल पर सर्च करे तो फटाक से तुम्हारी कविता निकालकर सामने आ जाए। मुझे उम्मीद है, मेरे सुझाव पर तुम गौर करोगे।
जवाब देंहटाएंBahut sundar rachana...badhai.
जवाब देंहटाएंkitna dard hai isme kya hua
जवाब देंहटाएंHello,
जवाब देंहटाएंAap iss tarah likhte rahenge toh chaahne waaley badte jaayenge :) jo aise kalaakar ko kaise marne denge ;-) hehe!
Romantic poems ke baadshaah hai aap! Dil mein ghar kar gayaa har lafz aur chooh gayaa mann ko mere :)
Bahut khoob.......... Umdaaaah
Regards,
Dimple
http://poemshub.blogspot.com
khud ko tadpaane humne phir se khat uthaaye
जवाब देंहटाएंkya karein, is tadap mein bhi apna ek alag maza hai
-Shruti
Hamesha ki tarah....khoobsoorat shabd sanyojan...Kulvant ji ki baat se sehmat hoon. Maut ka jikr thoda sa khala....
जवाब देंहटाएंPriya
"chahte to hai par kaise bhula de"
जवाब देंहटाएंbahut hi khub.
बहुत अच्छे भावों वाली कविता.....
जवाब देंहटाएंSahi hai Surender Bhai,
जवाब देंहटाएंChahte to hain par kaise bhula dein!
Kaash yaadon ko mitaana aasaan hota.......
Behatareen, as usual!