सोमवार, 27 दिसंबर 2010

कभी न था!

प्रिय दोस्तों,

आप सभी को नव वर्ष २०११ की शुभ-कामनाएं!

काफी दिनों के बाद मैं फिर से अपने वियोग-रस के साथ हाज़िर हूँ! आशा करता हूँ आपको मेरी ये रचना पसंद आएगी! शीर्षक है, "कभी न था"

आज जा के जाना उस मुहब्बत की मजाज़त(१) को,

कि मैं तेरा हमसफ़र कभी न था,

भीड़ में हूँ पर लगता है ऐसा,

आज से पहले ऐसा सहर(२) कभी न था,

ठंडी हवाएं जिस से छन के सुलाती थीं मुझे,

उस से खूबसूरत एह्साह का शजर(३) कभी न था,

और अब आने से उनके आँखों में खूं उतरता है,

तेरे ख़्वाबों का भी ऐसा कहर कभी न था,

हर इमारत मुझे गुफ्तार(४) नज़र आती है,

तेरे दिल में तो शायद मेरा घर कभी न था,

वक़्त ने उस क़ज़ा(५) के दर ला छोड़ा मुझे,

जिस कब्रस्तान में हसरतों का शहर कभी न था!

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(१)मोह-जाल (२) उजाड़ (३) पेड़ (४) ये कहती हुई (५) मौत

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बुधवार, 1 दिसंबर 2010

शीला की जवानी!


मित्रो,

बहुत दिन हो गए मैं कुछ लिख ही नहीं पाया, असल में ऑफिस में व्यस्तता इतनी हो गयी थी की मौक़ा ही नहीं मिला और ऊपर से कोई टोपिक ही नहीं मिल पा रहा था, मैंने सोचा कुछ लीक से हट के लिखूं, वैसे मैंने एक आध बार हास्य में गोता लगाने की कोशिश की लेकिन पता नहीं सफल हुआ या नहीं! चलो अभी एक हॉट टोपिक मिला जिसे मैंने व्यंग के साथ कुछ सच्चाइयों से भी जोड़ने की कोशिश की है!

नाम है "शीला की जवानी", आशा करता हूँ आप को पसंद आएगी और आप अपनी अति मह्हत्व्पूर्ण टिप्पणियाँ दे के हौसला-अफजाई करेंगे!


काफी दिनों से व्यस्त था

बोरियत भी थी भगानी

समझ आया नहीं किस पे लिखूं,

न किस्सा कोई न कहानी

शुकर है बॉलीवुड वालों का

टॉपिक दे दिया लिखने को

वाह क्या खूबसूरत टॉपिक दिया
नाम शीला की जवानी
राखी सावंत से शुरू हुआ

आइटम सॉन्ग का दौर तूफानी

कटरीना भला क्यों मना करे

उसे भी है किस्मत चमकानी

क्या मादक सा नृत्य किया

बाकी भरेंगी पानी

वाकई हिला के रख दिया

वाह रे शीला की जवानी

क्या मुन्नी और क्या शीला

हिट होने की सबने ठानी

चूल्हे में जाए संस्कृति भले

करेंगे अपनी मनमानी

पढ़ा पढ़ाया सब भूल गए

ये वक़्त ही है शैतानी

माँ बाप भले रूठे ही रहे

महबूबा मुझे है मनानी

ये देख क्या तूने कर डाला

पिला के फिरंगी पानी

मकसद में कामयाब हुई

वाह रे शीला की जवानी

दिल्ली की मुख्यमंत्री जी को भी

याद आ गयी नानी

कुछ ऐसी प्रतिक्रिया थी उनकी

जब देखी शीला की जवानी!