सोमवार, 11 अप्रैल 2016

बेज़ारी को बेपनाह प्यार में.......

बेज़ारी को बेपनाह प्यार में....... 
 
या खुदा इतनी तो कशिश भर दे दिल की दर-ओ-दीवार में
कि बदल के रख दूँ उसकी बेज़ारी(१) को बेपनाह प्यार में
कुछ यूँ माँगी है वक़्त की मोहलत मेरे राहग़ुज़र(२) अज़ीम(३) ने
काश फ़ौरन मुक़म्मल (४) हो ये न हो जनाज़ा उठे मेरा इंतज़ार में

कुछ माज़ी (५) की दुखती रगें हैं जिन्हे दबाना नहीं चाहता
कुछ उन लम्हों की चुभती यादों को भी बताना नहीं चाहता
मैं शायद कभी न भर पाऊँ उस खाली सी जगह का कोना
जिसे हसरतों सा पाले बैठा हूँ मैं अपने दिल-ए-दीदार में

कि बदल के रख दूँ उसकी बेज़ारी को बेपनाह प्यार में
क्यूँ इक ख़ौफ़ सा लगता है जब सुनता हूँ तेरा बीता कल
पूरी गुफ़्तगू में क्यूँ चुभ सा जाता है बस वही एक पल
या तो तुझे खो देने का डर सा है या ना-मालूम है वजह
मैं तो इस बात भी अंजान हूँ कि हूँ भी या नहीं तेरे इक़रार में

कि बदल के रख दूँ उसकी बेज़ारी को बेपनाह प्यार में

कोशिश बहुत की मैंने कि मुन्तज़िर (६) रहूँ और कुछ ना कहूं
दिल के कुछ जज़्बातों को ज़ाहिर किये बिना हँसता सा रहूँ
पर माफ़ करना शायद दिल हावी हो गया मेरे दिमाग़ के आगे
और कर बैठा हूँ इज़हार अपनी हालत का तेरे इख़्तियार(७) में

कि बदल के रख दूँ उसकी बेज़ारी को बेपनाह प्यार में

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उर्दू शब्दों का हिंदी अर्थ :
(१) अलग थलग सा (२) साथी (३) महान (४) पूरी (५) गुज़रा वक़्त
(६) इंतज़ार करने वाला (७) सामने


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बुधवार, 23 मार्च 2016

आपका शुकराना....

आपका शुकराना....

यूं  ही एक दिन उदास सा बैठा था मैं
ना जाने कहाँ से इक महकती ख़ुश्बू सी छू गयी
कुछ अजीब सी कशिश थी उसके एह्सासात की
जाते जाते बस छोड़ के वो अपना जुनूँ गयी......
कभी सोचा ना था उससे कुछ ऐसे जुड़ जाऊंगा
तन्हाइयों की राह पे चलता इक आवाज़ से मुड़ जाऊंगा
ना जाने क्या बात थी उसकी लरज़ती पलकों के चिलमन में
जो इक नज़र में तीरे-तश्तर चला के कुछ यूं गयी.......
चंद दिनों में ही वो लगने लगी ज़िन्दगी का हिस्सा सी
पलकें मूँद हज़ार मर्तबा पढ़ लूँ  वो किस्सा सी
मुझे दिल तो दे गयी वो अपना जाते जाते
पर मासूमियत में ले के मेरे दिल का सुकूँ गयी.......
लगने लगा है मुझे जीने की राह मिल गयी हो
मेरे बिखरे हुए ख़्वाबों को पनाह मिल गयी हो
खुदा गर दूर कर दिया जो मेरी जान से मुझे
गिला न करना मेरी रूह इबादत से बेज़ार क्यूँ गयी
गिला न करना मेरी रूह इबादत से बेज़ार क्यूँ गयी....