शुक्रवार, 30 अप्रैल 2010

यादों के धागे!

जब मौत का पैगाम आये,
फ़रिश्ते मोड़े नहीं जाते,
दूर रह के हर रिश्ता तोड़ दो,
एहसासों के रिश्ते तोड़े नहीं जाते,
दुआ है तुझे भूलने से पहले,
सासें टूट जाएँ मेरी,
इक बार जो टूटे दिल के,
टुकड़े जोड़े नहीं जाते,
हर ज़ख्म सहने की,
हिम्मत जोड़ लेते हैं,
कुछ ज़ख्म ऐसे होते हैं,
खुल्ले छोड़े नहीं जाते,
गर जुदा भी हुए कभी,
बस बदन ही अलग होंगे,
इतने पक्के यादों के धागे,
ज़माना लाख कोशिश कर ले,
कभी तोड़े नहीं जाते...
कभी तोड़े नहीं जाते!

गुरुवार, 15 अप्रैल 2010

नज़र तू आया!

आज तेरी याद ने कुछ यूं सताया,
लाख रोका दिल को पर भरता आया,
तन्हाई दूर करने घूमने निकला,
लहरों के साहिल पे खुद को चलता पाया,
गहवारा(१) लहरों से चाँद निकलते देखा,
इक पल को तेरा चेहरा नज़र आया,
आँखें मूँद लहरों से गुजारिश जो की,
हर छींट संग मोतियों का पुलिंदा आया,
चुन चुन के उन में सब से पारसा(२) मोती,
अपने हाथों से तेरे लिए इक हार बनाया,
सोचा नीले समंदर में डूब के देखूं,
अगले ही पल तेरी आँखों का ख़याल आया,
दिल ने फिर बादलों में खोने को जो कहा,
तेरी जुल्फों से खेलने का मन बना आया,
तेरे आने की उम्मीद में पलकें जो मूंदी,
इलाही के रूप में मुझको नज़र तू आया!

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(१) हिचकोले खाती (२) पवित्र
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