अभी कुछ दिन ही हुए तुम दूर गए,
लगता है अरसो से तुम पास नहीं हो,
गाहे-बगाहे सासें भी रुक रुक के आती हैं,
जैसे इन्हें भी तेरी साँसों बिना जीने की आस नहीं हो,
तुझ पे लिखी हुई बंदिशों का पुलिंदा उठाया,
सोचा पढ़ लूं तो दूरियों का एहसास नहीं हो,
ज़ालिम हर लफ्ज़ की तासीर ने यूं घायल किया,
जैसे उन्हें मेरी तन्हाईयों का एहसास नहीं हो,
कुछ और पन्ने पलटे तो इक सूखा गुलाब दिखा,
फिर याद आया अरे ये तो वही पहला गुलाब है,
जो डर डर के तुम्हें देने को तुम्हारी सहेली को दिया था,
दूर झरोखे से तुम्हें यूं देख रहा था जैसे,
नज़रें उठाने की भी हिम्मत पास नहीं हो,
तुमने फूल लिया और मैं दौड़ कर ऊपर के कमरे में गया,
छोटे से मंदिर में घी का दिया जलाते हुए,
रब को हाथ बांधे शुक्रिया करते हुए कहा,
भले ही मिलाना हज़ारों से पर ध्यान ये रखना,
के कोई तुम जैसा खासम-ख़ास नहीं हो,
खुशकिस्मती है आप ज़िन्दगी का हिस्सा हैं,
जो कभी भी ख़त्म न हो ऐसा एक किस्सा हैं,
इंतज़ार में हूँ तुम जल्द आओ और अपने रुखसार से,
कुछ यूं रौशन करो की गर्त में भी अँधेरे का एहसास नहीं हो!
आपकी कविता दिल छु लेने वाली है | इसमें व्यक्त किये गए हर लफ्ज़ ने बहुत ही गहरी छाप छोड़ी है | बहुत ही वदिया
जवाब देंहटाएंBhaut khoob kya bat ha Chawla ji !!!
जवाब देंहटाएंबसन्त के आगमन से पहले आपकी यह रचना वास्तव में बासन्ती रंग में रंगी हुय़ी है!
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत प्रस्तुति है!
ज़ालिम हर लफ्ज़ की तासीर ने यूं घायल किया,
जवाब देंहटाएंजैसे उन्हें मेरी तन्हाईयों का एहसास नहीं हो,
वाह...बेहद भावपूर्ण रचना है आपकी...बधाई स्वीकारें...
नीरज
तुझ पे लिखी हुई बंदिशों का पुलिंदा उठाया,
जवाब देंहटाएंसोचा पढ़ लूं तो दूरियों का एहसास नहीं हो,
ज़ालिम हर लफ्ज़ की तासीर ने यूं घायल किया,
जैसे उन्हें मेरी तन्हाईयों का एहसास नहीं हो,
उफ़! क्या भाव संयोजन किया है ……………दिल को छू गयी आपकी ये रचना जैसे मैने ही लिखी हो ऐसा लगा…………आभार्।
भावपूर्ण प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर रचना है !
जवाब देंहटाएंतुझ पे लिखी हुई बंदिशों का पुलिंदा उठाया,
जवाब देंहटाएंसोचा पढ़ लूं तो दूरियों का एहसास नहीं हो,
ज़ालिम हर लफ्ज़ की तासीर ने यूं घायल किया,
जैसे उन्हें मेरी तन्हाईयों का एहसास नहीं हो,
अब हम क्या कहें आपकी या आपकी नज़्म की तारीफ़ में
कहीं कहा और छोटे लगे जो अलफ़ाज़ आपकी तारीफ़ में
:-)
इंतज़ार में हूँ तुम जल्द आओ और अपने रुखसार से,
जवाब देंहटाएंकुछ यूं रौशन करो की गर्त में भी अँधेरे का एहसास नहीं हो!
इतने प्यार से पुकारोगे तो जरूर इच्छा पूरी होगी सुन्दर कविता के लिये बधाई।
जिंदगी के कुछ उलझे और कुछ सुलझे पन्नों को बहुत ही खूबसूरती से पिरो डाला अपने दोस्त !
जवाब देंहटाएंबहुत ही खूबसूरती से लिखी सशक्त रचना !
तुझ पे लिखी हुई बंदिशों का पुलिंदा उठाया,
जवाब देंहटाएंसोचा पढ़ लूं तो दूरियों का एहसास नहीं हो,
ज़ालिम हर लफ्ज़ की तासीर ने यूं घायल किया,
जैसे उन्हें मेरी तन्हाईयों का एहसास नहीं हो,...
बहुत सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति...
bhwnaon ka sunder varnan.
जवाब देंहटाएंज़ालिम हर लफ्ज़ की तासीर ने यूं घायल किया,
जवाब देंहटाएंजैसे उन्हें मेरी तन्हाईयों का एहसास नहीं हो,...
" dil ke naajuk ehsaas utne hi naajuk shabd, khubsurat"
regards
गणतंत्र दिवस पर हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई ...
जवाब देंहटाएंHappy Republic Day..गणतंत्र िदवस की हार्दिक बधाई..
जवाब देंहटाएंMusic Bol
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गाहे-बगाहे सासें भी रुक रुक के आती हैं,
जवाब देंहटाएंजैसे इन्हें भी तेरी साँसों बिना जीने की आस नहीं हो,
बहुत सुंदर भाई ....इतना कहूँ की एकदम दिल को छु गयी पूरी रचना ...यूँ ही अनवरत लिखते रहें यही कामना है ...शुक्रिया
Hameshaki tarah,dil me utartee huee rachana!
जवाब देंहटाएंDeree se aane ke liye kshama karen!
Gantantr diwas kee haardik badhayi!
wah ! bahut hi khoob.. aise hi likhte rahiyega..
जवाब देंहटाएंPls Visit My Blog..
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कुछ यूं रौशन करो की गर्त में भी अँधेरे का एहसास नहीं हो
जवाब देंहटाएंकोई बात नहीं ... इंतज़ार के पल खतम ज़रूर होंगे और साथ प्यार से भरे दिन शुरू होंगे ... शुभकामनायें ... सुन्दर रचना !
भावपूर्ण सुन्दर रचना...वाह...
जवाब देंहटाएंभले ही मिलाना हज़ारों से पर ध्यान ये रखना,
जवाब देंहटाएंके कोई तुम जैसा खासम-ख़ास नहीं हो,
kya baat bhai ji... awesome :)
सुरेंदर जी,
जवाब देंहटाएंआनंद! आनंद! आनंद!
आशीष
दिल को छूने वाली खूबसूरत अभिव्यक्ति. आभार.
जवाब देंहटाएंसादर,
डोरोथी.
अभी कुछ दिन ही हुए तुम दूर गए,
जवाब देंहटाएंलगता है अरसो से तुम पास नहीं हो,
गाहे-बगाहे सासें भी रुक रुक के आती हैं,
जैसे इन्हें भी तेरी साँसों बिना जीने की आस नहीं हो,
sunder abhivyakti..........
http://amrendra-shukla.blogspot.com
bahut hi pyari abhivyakti...:)
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचनात्मक पोस्ट .बधाई
जवाब देंहटाएंआपको वसंत पंचमी की ढेरों शुभकामनाएं!
जवाब देंहटाएंसादर,
डोरोथी.
bhavpuran kavita...
जवाब देंहटाएंआस है तो जीवन है !
जवाब देंहटाएंबहुत ही बढ़िया नज़्म .
जवाब देंहटाएंसच जब नज़्म में उतर आता है तो नज़्म आईना लगती है.
आईना दिखलाने के लिए शुक्रिया.
आपकी कलम को ढेरों सलाम.
sunder ehsas
जवाब देंहटाएंsukiriya
बहुत सुंदर आपका स्वागत हे
जवाब देंहटाएंआपका शुक्रिया....
अंतर्मन के भाव संजोये बेहतरीन अभिव्यक्ति....... सुंदर लेखन के लिए बधाई
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना है। दिल से लिखते हो। बधाई।
जवाब देंहटाएंMaine kahaa tha romantic composition ke aap baadshaah ho :)
जवाब देंहटाएंVery well written !!
Regards,
Dimple
बेहतरीन अभिव्यक्ति....... सुंदर लेखन के लिए बधाई
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंसुरेन्द्र जी,
जवाब देंहटाएंक्या बात है है ... बहुत रुमानियत भरी कविता है ... एकदम झक्कास ...
वाह ...प्रेम पूर्ण सुन्दर भाव और मोहक अभिव्यक्ति....
जवाब देंहटाएंयूं रौशन करो की गर्त में भी अँधेरे का एहसास नहीं हो!
जवाब देंहटाएंहे प्रभु जैसे सुरेन्द्र को गर्त में भी अंधेरे के अहसास से मुक्त किया, वैसे ही सबको मुक्ित दिखा। आमीन।
क्या कहने हौसला बनाए रखिये
जवाब देंहटाएंबेहद भावपूर्ण रचना
जवाब देंहटाएंक्या सच में तुम हो???---मिथिलेश
Bahut dino baad aaye idhar ...saari rangat hi badli hui hai...blog khoobsoorat lag raha hai ...
जवाब देंहटाएंइंतज़ार में हूँ तुम जल्द आओ और अपने रुखसार से,
कुछ यूं रौशन करो की गर्त में भी अँधेरे का एहसास नहीं हो!
ha ha Tubelight bana diya... just kidding...good one :-)
तुझ पे लिखी हुई बंदिशों का पुलिंदा उठाया,
जवाब देंहटाएंसोचा पढ़ लूं तो दूरियों का एहसास नहीं हो,
ज़ालिम हर लफ्ज़ की तासीर ने यूं घायल किया,
जैसे उन्हें मेरी तन्हाईयों का एहसास नहीं हो.
dooriyon mein itni pyari nazm likhi,
kya hoga agar woh tere paas yahin ho??
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