तू साथ थी फिर भी तेरे हम-नवां(१) ना हो पाये
तुझ से दूर हुए फिर भी तुझसे जुदा ना हो पाये
हर वक़्त तुझे पलकें मूँदे किसी के सजदे में ग़ुम देखा
आखिर में मेरे गुमाँ(२) निकले पर तेरे ख़ुदा ना हो पाये
हज़ारों खतायें की होंगी तेरे जानिब(३) रह कर भी
बेइन्तेहाँ तग़ाफ़ुल(४) किये होंगे तुझे अपना कह के भी
ना जाने कितनी गिरहें(५) उलझ गयीं इन बीते लम्हों में
वक़्त गुज़ारते हैं इन्हे खोलने में पर बेवफा ना हो पाये
जब बिछड़ रहे थे तुझसे आँखों में नमी लिए
मुसल्सल(६) उम्मीद थी काश तुझे आग़ोश में ले पाएं
तुझ पे लिखे कुछ लफ्ज़ जो होटों पे लरज़ते रहे
अफ़सोस जुदा होते हुए भी वो ग़ज़ल ना कह पाये
खुदा मुझे या तो तुझे बख़्शे या करा दे मौत नसीब
बस एक बार दीदार हो और हम ये कह पाएं
*********************************************************************
(१) अपनापन (२) धोखा (३) पास (४) तिरस्कार (५) गाँठें (६) सरासर
तुझ से दूर हुए फिर भी तुझसे जुदा ना हो पाये
हर वक़्त तुझे पलकें मूँदे किसी के सजदे में ग़ुम देखा
आखिर में मेरे गुमाँ(२) निकले पर तेरे ख़ुदा ना हो पाये
हज़ारों खतायें की होंगी तेरे जानिब(३) रह कर भी
बेइन्तेहाँ तग़ाफ़ुल(४) किये होंगे तुझे अपना कह के भी
ना जाने कितनी गिरहें(५) उलझ गयीं इन बीते लम्हों में
वक़्त गुज़ारते हैं इन्हे खोलने में पर बेवफा ना हो पाये
जब बिछड़ रहे थे तुझसे आँखों में नमी लिए
मुसल्सल(६) उम्मीद थी काश तुझे आग़ोश में ले पाएं
तुझ पे लिखे कुछ लफ्ज़ जो होटों पे लरज़ते रहे
अफ़सोस जुदा होते हुए भी वो ग़ज़ल ना कह पाये
खुदा मुझे या तो तुझे बख़्शे या करा दे मौत नसीब
बस एक बार दीदार हो और हम ये कह पाएं
*********************************************************************
बहुत उम्दा ग़ज़ल।
जवाब देंहटाएं--
100वीं पोस्ट की बधाई हो आपको।
badiya hi nhi Lajwab h ye to
जवाब देंहटाएंहमेशा कि तरह आपके लिखे हर्फ़ पढ़े और जुबां से "सुभान" के सिवा कुछ न निकला..
जवाब देंहटाएंहज़ारों खतायें की होंगी तेरे जानिब(३) रह कर भी
जवाब देंहटाएंबेइन्तेहाँ तग़ाफ़ुल(४) किये होंगे तुझे अपना कह के भी ..sundar !
100 post ke liye bhaut bhaut bhadaayi....khubsurat gazal....
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना..100वीं पोस्ट की बधाई आपको सुरेन्द्र।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना..100वीं पोस्ट की बधाई
जवाब देंहटाएंतू साथ थी फिर भी तेरे हम-नवां(१) ना हो पाये
तुझ से दूर हुए फिर भी तुझसे जुदा ना हो पाये
हज़ारों खतायें की होंगी तेरे जानिब(३) रह कर भी
जवाब देंहटाएंबेइन्तेहाँ तग़ाफ़ुल(४) किये होंगे तुझे अपना कह के भी
आपकी रचना के हरेक अल्फाज मन में समा गए। आपके भावों की कद्र करते हुए
आपके जज्बे को सलाम करता हूं, सुरेंद्र भाई। शुभ रात्रि।
क्या कहने, बहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंकविता का भाव और प्रस्तुतिकरण बेजोड़.....100वीं पोस्ट की बधाई
वाह बहुत खूब
जवाब देंहटाएंBahut Sundar
जवाब देंहटाएंCongrats on your 100th poem...thoughtful and well presented with deep underlying meanings! Keep writing!
जवाब देंहटाएं