रविवार, 9 मई 2010

माँ खुदा का रूप!

कोमल सी पलकें दुनिया में खुली,
सब से पहले मुझे तू दीखी माँ,
बाकी सब लफ्ज़ तो बाद में फूटे,
"माँ" पहली आयत मैंने सीखी माँ,
जब भी कभी रातों में डर से सिमटा,
तूने आँचल में मुझको समाया था माँ,
कागज़ पे आढी टेढ़ी लकीरों को देख,
मुझे अच्छे से लिखना सिखाया था माँ,
जब भी कोई गलती मैंने थी की,
सबके सामने ही तूने डांटा था माँ,
फिर मेरी पहली कामयाबी को भी,
उन्ही सब के साथ तूने बांटा था माँ,
आज तक जो तूने किया मेरे खातिर,
उसका सबाब क्या बताने से होगा,
कुछ और गर तेरे सजदे में कहूं,
तो सूरज को दिया दिखाना सा होगा,
हमेशा तेरा हाथ मेरे सर पे रहे,
तेरे प्यार की कभी छाँव कभी धूप है,
उसको देखने की अब तमन्ना नहीं है,
बस तू ही मेरे लिए खुदा का रूप है!

शुक्रवार, 7 मई 2010

अल्हान बना लूं मैं!

तेरे मीठे मीठे बोलों को होटों पे सजा लूं मैं,
चुन चुन के उन में मोती इक नज़्म बना लूं मैं,
अफरोज(१) तेरी इन आँखों में इस क़दर डूब जाऊं मैं ,
कुछ और नहीं मदहोशी पे अल्हान(२) बना लूं मैं,
हिचकोले खाती जुल्फों से कुछ तो बिशारत(३) लूं,
हर लफ्ज़ जो छन छन के निकले इक जाल बना लूं मैं,
इतनी तो फजीलत(४) खुदा मेरी आँखों को बख्श दे,
तू अपनी परछाई देखे आईना बना लूं मैं,
गर रुखसार से तू रोशन कर दे अँधेरे पल मेरे,
हर कोने में वो जलती हुई शम्मा को बुझा लूं मैं!
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(१) चमकती हुई (२) मधुर संगीत (३) प्रेरणा (४) महारत
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गुरुवार, 6 मई 2010

मुश्किल है अपना मेल प्रिये, ये प्यार नहीं है खेल प्रिये!

प्रिय दोस्तों,
आज किसी ने मुझे एक हास्य कविता भेजी तो मैंने सोचा क्यों न इसे अपने ब्लॉगर मित्रो से सांझा की जाए!
मुझे नहीं मालूम की ये कविता किसने लिखी है सो अगर किसी को पता हो तो कृपा कर के मुझे बताएं जिस से की मैं उनका नाम प्रकाशित कर सकू!
अभी नहीं जानता सो उनकी अनुमति की बिना ही अपने ब्लॉग पर पोस्ट कर रहा हूँ!
**अति महत्तवपूर्ण**
ये कविता किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाने के लिए नहीं कही गयी है, किसी भी व्यक्ति विशेष को भी टार्गेट नहीं किया गया है!
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तो दोस्तों पेश-ए-खिदमत है.......

"मुश्किल है अपना मेल प्रिये, ये प्यार नहीं है खेल प्रिये"

तुम एम् ए फर्स्ट डिविजन हो, मैं हुआ मेट्रिक फेल प्रिये,
मुश्किल है अपना मेल प्रिये, ये प्यार नहीं है खेल प्रिये,
तुम फौजी अफसर की बेटी, मैं तो किसान का बेटा हूँ,
तुम रबड़ी खीर मलाई हो, मैं तो सत्तू सपरेटा हूँ,
तुम ए. सी. घर में रहती हो, मैं पेड़ के नीचे लेटा हूँ,
तुम नयी मारुती लगती हो, मैं स्कूटर लम्ब्रेटा हूँ,
इस कदर अगर हम चुप चुप कर आपस में प्रेम बढ़ाएंगे,
तो इक रोज़ तेरे पापा ज़रूर अमरीश पुरी बन जायेंगे,
सब हड्डी पसली तोड़ मुझे भिजवा देंगे वो जेल प्रिये,
मुश्किल है अपना मेल प्रिये, ये प्यार नहीं है खेल प्रिये,
तुम अरब देश की घोड़ी हो, मैं हूँ गधे की नाल प्रिये,
तुम दीवाली का बोनस हो, मैं भूखो की हड़ताल प्रिये,
तुम हीरे जड़ी तश्तरी हो, मैं अलमूनियम का थाल प्रिये,
तुम चिकन सूप बिरयानी हो, मैं कंकड़ वाली दाल प्रिये,
तुम हिरन चौकड़ी भरती हो, मैं हूँ कछुए की चाल प्रिये,
तुम चन्दन वन की लकड़ी हो, मैं हूँ बबूल की छाल प्रिये,
मैं पके आम सा लटका हूँ, मत मारो मुझे गुलेल प्रिये,
मुश्किल है अपना मेल प्रिये, ये प्यार नहीं है खेल प्रिये,
मैं महिषासुर सा हूँ कुरूप, तुम कोमल कंचन काया हो,
मैं तन मन से कांशी राम, तुम महा चंचल माया हो,
तुम निर्मल पावन गंगा हो, मैं जलता हुआ पतंगा हूँ,
तुम राज घाट का शांति मार्च, मैं हिन्दू मुस्लिम दंगा हूँ,
तुम हो पूनम का ताज महल, मैं काली गुफा अजन्ता की,
तुम हो वरदान विधाता का, मैं गलती हूँ भगवंता की,
तुम जेट विमान की शोभा हो, मैं बस की ठेलम ठेल प्रिये,
मुश्किल है अपना मेल प्रिये, ये प्यार नहीं है खेल प्रिये,
तुम नयी विदेशी मिक्सी हो, मैं पत्थर का सिलबट्टा हूँ,
तुम ए. के. सैंतालिस जैसी, मैं तो इक देसी कट्टा हूँ,
तुम चतुर राबड़ी सी जैसी, मैं भोला भाला लालू हूँ,
तुम मुक्त शेरनी जंगल की, मैं चिड़ियाघर का भालू हूँ,
तुम व्यस्त सोनिया गाँधी सी, मैं वी.पी. सिंह सा खाली हूँ,
तुम हंसी माधुरी दीक्षित की, मैं पुलिस मैन की गाली हूँ,
कल जेल अगर हो जाए तो दिलवा देना तुम बेल प्रिये,
मुश्किल है अपना मेल प्रिये, ये प्यार नहीं है खेल प्रिये,
मै ढाबे के ढाँचे जैसा, तुम पांच सितारा होटल हो,
मै महुए का देसी ठर्रा, तुम रेड लेबल की बोतल हो,
तुम चित्रहार का मधुर गीत, मैं कृषि दर्शन की झाडी हूँ,
तुम विश्व सुंदरी सी कमाल, मैं तेलिया छाप कबाड़ी हूँ,
तुम सोने का मोबाइल हो, मैं टेलीफोन का हूँ चोंगा,
तुम मछली मानसरोवर की, मैं सागर तट का हूँ घोंगा,
दस मंजिल से गिर जाऊंगा, मत आगे मुझे धकेल प्रिये,
मुश्किल है अपना मेल प्रिये, ये प्यार नहीं है खेल प्रिये,
तुम सत्ता की महारानी हो, मैं विपक्ष की लाचारी हूँ,
तुम हो ममता-जयललिता सी, मैं कुंवारा अटल बिहारी हूँ,
तुम तेंदुलकर का शतक प्रिये, मैं फोल्लो ओन की पारी हूँ,
तुम गेट्ज मटीज कोरोल्ला हो, मैं लेलैंड की लारी हूँ,
मुझको रेफरी ही रहने दो, मत खेलो मुझ से खेल प्रिये,
मुश्किल है अपना मेल प्रिये, ये प्यार नहीं है खेल प्रिये,
मैं सोच रहा की रहे हैं कब से, श्रोता मुझ को झेल प्रिये,
मुश्किल है अपना मेल प्रिये, ये प्यार नहीं है खेल प्रिये!