सोमवार, 3 जनवरी 2011

माँ तुझे सलाम!

वक़्त भी न जाने कैसे बदल जाता है....जब हम छोटे थे और कोई हमारी बात नहीं समझता था, तब सिर्फ एक ही हस्ती थी जो हमारे टूटे फूटे अल्फाजों को भी समझ जाती थी, और आज हम उसी हस्ती से कहते हैं, "आप नहीं जानती", "आप नहीं समझ पाएंगी", "आपकी बातें मुझे समझ नहीं आती", "लो अब तो आप खुश हो न", इस आदरणीय शख्सियत की इज्ज़त करें, इस से पहले की ये साथ ख़त्म हो!

सख्त रास्तों में भी आसान सफ़र लगता है,

ये मुझे मेरी माँ की दुआओं का असर लगता है,

एक मुद्दत से मेरी माँ सोयी नहीं है,

जब से मैंने एक बार कहा था, माँ-मुझे डर लगता है!

12 टिप्‍पणियां:

  1. सख्त रास्तों में भी आसान सफ़र लगता है,
    ये मुझे मेरी माँ की दुआओं का असर लगता है,
    एक मुद्दत से मेरी माँ सोयी नहीं है,
    जब से मैंने एक बार कहा था, माँ-मुझे डर लगता है!

    aankhe nam ho gayee padh ke...
    shukriya ye post karne ke liye :-)

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  2. माँ ऐसी ही होती है। बहुत सुन्दर पँक्तियाँ हैं। शुभकामनायें।

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  3. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति!

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  4. किसी ने कहा है की भगवान हर पल हर जगह मौजूद नही होता इसीलिए उसने माँ को धरती पर भेजा है.

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  5. एक मुद्दत से मेरी माँ सोयी नहीं है,

    जब से मैंने एक बार कहा था, माँ-मुझे डर लगता है!
    Aapne to rula diya!

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  6. माँ की दुआओं में असर बना रहे !
    नव वर्ष की शुभकामनायें !

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  7. सुरेंदर जी,
    सब माँ का आशीष है!
    आई अग्री...
    आशीष
    ---
    हमहूँ छोड़ के सारी दुनिया पागल!!!

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  8. Great thought summed up so gracefully in a few beautiful lines!
    Do send in one of your beautiful creations translated into English for 'Literary Jewels' online magazine that will be launched very soon.

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  9. SO touchy... cann't explain... Last two lines are speaks alot...!!!

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  10. Munhid ji bahut khubsurti se ma ke 'maa' hone ka ehsaas karwa gae..dhanyavad.

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