बुधवार, 12 जनवरी 2011

केश सिक्खां लई सब तों वड्डी दात!

कल शाम मैं गुरबाणी विचार सुन रहा था तो सिख पंथ के महान कथा-वाचक भाई पिंदरपाल सिंह जी ने एक कथा सुनाई! यह कथा जो आजकल केशों(बालों) की बे-अदबी कर रहे हैं सिख भाई, उनके लिए प्रेरणा है! मैं पूरा तो नहीं सुन पाया लेकिन जो सुना वही आप सभी के सन्मुख रख रहा हूँ!

गुरु गोबिंद सिंह जी जब औरंगजेब के खिलाफ लड़ाई कर रहे थे तो एक मुस्लिम जिसका नाम बुद्धू शाह था औरंगजेब का साथ छोड़ के गुरु साहिब के साथ मिल गया क्योंकि उसके मुताबिक़ गुरूजी सच की लड़ाई लड़ रहे थे, एक एक कर के दोनों ओर से लोग शहीद हो रहे थे और इस भाई बुद्धू शाह ने अपने दोनों जवान बेटों को भी लड़ाई के लिए गुरु जी के सुपुर्द कर दिया! लड़ाई में बुद्धू शाह के दोनों बेटे भी शहीद हो गए, जब ये बात गुरु जी को पता चली तो उनका दिल भर आया और उन्होंने बुद्धू शाह के पास जा के कहा, "बुद्धू शाह, आज तेरे दोनों बेटों ने सच के लिए कुर्बानी दी है, मांग आज तो तुझे माँगना है", उस वक़्त गुरु गोबिंद सिंह जी अपने केशों में कंघा कर रहे थे, तो बुद्धू शाह ने कहा की आपको अगर इतना ही तरस आया है मुझ गरीब पे तो आप मुझे अपना कंघा और उस में लगे हुए केश दान कर दो, इतना सुनते ही गुरु गोबिंद सिंह जी ने, कंघे समेत केश, बुद्धू शाह की झोली में डाल दिए!

जब बुद्धू शाह घर आया तो उसकी बेगम नसरीन ने पूछा की मेरे बेटे कहाँ हैं, इस पर बुद्धू शाह ने जो जवाब दिया वो उन सभी सिक्खों के लिए एक सबक है जो अपने केश कटाते हैं और अपने आप को गुरु का सिख कहलवाते हैं!

बुद्धू शाह ने कहा, "नसरीन, मैं अपनी ज़िन्दगी के सब से बड़ी कमाई, सब से बड़ी कीमती चीज़ अपने बेटे, गुरु गोबिंद सिंह को सौंप आया हूँ, और गुरु गोबिंद सिंह की सब से कीमती चीज़, उनके केश, अपने साथ ले आया हूँ"

इतना प्रेम करते थे गुरु गोबिंद सिंह जी अपनी सिक्खी से, और आज न जाने क्या हो गया है, फैशन के चक्करों में पड़ कर सिख अपने केशो की बे-अदबी करने से भी नहीं चूकते! गुरु गोबिंद सिंह जी ने सिक्खी के लिए अपने चारों बेटे कुर्बान कर दिए और आज हम उनकी दी हुई सिक्खी को ही नहीं संभाल पा रहे हैं!

वाहेगुरु हम सब पापियों को सद-बुद्धि दें!

वाहेगुरु जी का खालसा, वाहेगुरु जी की फ़तेह!

11 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत अच्छा प्रसंग है। वाहेगुरु जी का खालसा, वाहेगुरु जी की फ़तेह! गुरु पर्व की बधाईयाँ।

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  2. बहुत ही प्रेरक प्रसंग प्रस्तुत किया है आपने!

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  3. प्रेरक प्रसंग...गुरु परब दियां लख लख वधाईयां
    नीरज

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  4. shukria, aapko bhi badhayi.
    accha udaharan.
    maan...aur kabhi na tha....UMDA.

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  5. Gurpurab di wadhai te lohri di vi...
    Have a great time writing such inspiring thoughts!
    God Bless!

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  6. No comments.
    Happy Lohri!
    Ashish
    ---
    हमहूँ छोड़के सारी दुनिया पागल!!!

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  7. ये तो धार्मिक मान्यताओं की बात है ... इसमें मेरा कुछ कहना शायद सही नहीं होगा ...

    लोहरी की शुभकामनायें !

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  8. prerna deti haian guruon की bate हमेशा ....
    बहुत achhee post है ....

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  9. आपका ब्लॉग पसंद आया....इस उम्मीद में की आगे भी ऐसे ही रचनाये पड़ने को मिलेंगी कभी फुर्सत मिले तो नाचीज़ की दहलीज़ पर भी आयें-
    http://vangaydinesh.blogspot.com/2011/03/blog-post_12.html

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