चलते चलते इतनी दूर चला आया मैं
फिर भी लगती अजनबी सी राहें हैं
लाख नज़ारे देखे होंगे राह-ए-सफ़र में
ना जाने क्यों फिर भी सूनी सी निगाहें हैं
यूं तो तेरी यादों को साथ ले के चला था
अब गहराइयों में दिल की सिसकती सी आहें हैं
तुझे आगोश में लेने की बस तम्मना रह गयी
आज भी तेरे इंतज़ार में खुली मेरी बाहें हैं
ना जाने कब फरिश्तों की नगरी से बुलावा हो
सुना था वहाँ रहती मोहब्बत-ए-पाक अरवाहें हैं
इक तुझसे प्यार किया तो पहचान थी अपनी
आज दुनिया की नज़रों में हम गाहे-बगाहे हैं!
फिर भी लगती अजनबी सी राहें हैं
लाख नज़ारे देखे होंगे राह-ए-सफ़र में
ना जाने क्यों फिर भी सूनी सी निगाहें हैं
यूं तो तेरी यादों को साथ ले के चला था
अब गहराइयों में दिल की सिसकती सी आहें हैं
तुझे आगोश में लेने की बस तम्मना रह गयी
आज भी तेरे इंतज़ार में खुली मेरी बाहें हैं
ना जाने कब फरिश्तों की नगरी से बुलावा हो
सुना था वहाँ रहती मोहब्बत-ए-पाक अरवाहें हैं
इक तुझसे प्यार किया तो पहचान थी अपनी
आज दुनिया की नज़रों में हम गाहे-बगाहे हैं!
"यूं तो तेरी यादों को साथ ले के चला था
जवाब देंहटाएंअब गहराइयों में दिल की सिसकती सी आहें हैं"....क्या ख़ूब लिखा है आपने, बहुत ही बेहतरीन अंदाज़ में आपने अपनी तमन्ना को बयान कीया है !
आपको इस सुन्दर प्रस्तुति के लिए हार्दिक शुभ कामनाएँ!
लाख नज़ारे देखे होंगे राह-ए-सफ़र में
जवाब देंहटाएंना जाने क्यों फिर भी सूनी सी निगाहें हैं
यूं तो तेरी यादों को साथ ले के चला था
अब गहराइयों में दिल की सिसकती सी आहें हैं
हमेशा की तरह बेहद खूबसूरत रचना और हमेशा की ही तरह मैं शब्द ढूंढ रहा हूँ तारीफ़ करने के लिए :-)
bahut hi sundar manbhavan prastuti
जवाब देंहटाएंयह उम्दा ग़ज़ल पढ़वाने के लिए शुक्रिया!
जवाब देंहटाएंमहाशिवरात्रि की शुभकामनाएँ!
Raaz-O-Niyaz!!!
जवाब देंहटाएंPublicly?
Ha ha ha.....
Awesome Bro!
Photys bhi changi layee hui ne!
Ashish
चलते चलते इतनी दूर चला आया मैं
जवाब देंहटाएंफिर भी लगती अजनबी सी राहें हैं
लाख नज़ारे देखे होंगे राह-ए-सफ़र में
ना जाने क्यों फिर भी सूनी सी निगाहें हैं
यूं तो तेरी यादों को साथ ले के चला था
अब गहराइयों में दिल की सिसकती सी आहें हैं
Wah! Kya likhte hain aap!
बहुत सुन्दर भाव!!! बधाई.
जवाब देंहटाएंबहुत ही उम्दा लिखा है.....
जवाब देंहटाएंवाह बहुत खूब ....
जवाब देंहटाएंनया दिन जब भी गुजरता हैं मुझे छु कर
तुम पास हो ये ही एहसास मुझे हर पल होता हैं |....अनु
bhaavpurn abhivyakti, badhai.
जवाब देंहटाएंइक तुझसे प्यार किया तो पहचान थी अपनी
जवाब देंहटाएंआज दुनिया की नज़रों में हम गाहे-बगाहे हैं!
Surendra jitareef keliye sabd kam pad jayenge,bahut hi sanvedansheel rachna.mamrmik prastuti.....badhai****
अपनी बात को शब्द देने का एक खूबसूरत प्रयास | सुन्दर रचना |
जवाब देंहटाएंFantastic creation -
जवाब देंहटाएंतुझे आगोश में लेने की बस तम्मना रह गयी
आज भी तेरे इंतज़ार में खुली मेरी बाहें हैं
Really touchy -- beautiful...
बहुत सुन्दर भाव!!! बधाई.
जवाब देंहटाएंइक तुझसे प्यार किया तो पहचान थी अपनी
जवाब देंहटाएंआज दुनिया की नज़रों में हम गाहे-बगाहे हैं!
...बहुत सुन्दर...
इक तुझसे प्यार किया तो पहचान थी अपनी
जवाब देंहटाएंआज दुनिया की नज़रों में हम गाहे-बगाहे हैं
thougtfull lines...again a touching poem...
भावपूर्ण रचना ... मन के जज्बातों को लिखा है ..
जवाब देंहटाएंबेहद खूबसूरत भावपूर्ण रचना..... हार्दिक बधाई.....
जवाब देंहटाएंइस रचना का सूफ़ियाना रंग लाजवाब है।
जवाब देंहटाएंइस सुंदर रचना के लिए बधाई...
इक तुझसे प्यार किया तो पहचान थी अपनी
जवाब देंहटाएंआज दुनिया की नज़रों में हम गाहे-बगाहे हैं!waah.
दिल बात को बयाँ करने का खूबसूरत अंदाज़ |
जवाब देंहटाएंअर्ज किया है ......
तेरे चाहने से लोग मुझको जान जाते हैं |
मैं वो खोई चीज़ हूँ जिसका पता तुम हो |
सुन्दर रचना |
सुन्दर शब्दों से सजी सार्थक रचना...बहुत खूब...
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना बधाई.....
जवाब देंहटाएंbahot achcha likhe......
जवाब देंहटाएंमन के भावों को खूबसूरती से अभिव्यक्त किया है आपने।
जवाब देंहटाएंइक तुझसे प्यार किया तो पहचान थी अपनी
जवाब देंहटाएंआज दुनिया की नज़रों में हम गाहे-बगाहे हैं!
बेहतरीन भाव परवान करती रचना .
Wah, kya baad hai. Bahut achhi lagi.
जवाब देंहटाएंवाह!!!
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत रचना...
बेहतरीन ब्लॉग.....आज पहली दफा आना हुआ.....बहुत खूब!!!!
सादर.
अनु
बहुत सुन्दर सृजन, बधाई.
हटाएंमेरे ब्लॉग" meri kavitayen" की नयी पोस्ट पर भी पधारने का कष्ट करें.
सुन्दर प्रस्तुति, सुन्दर भावाभिव्यक्ति, बधाई.
हटाएंयूं तो तेरी यादों को साथ ले के चला था
जवाब देंहटाएंअब गहराइयों में दिल की सिसकती सी आहें हैं
तुझे आगोश में लेने की बस तम्मना रह गयी
आज भी तेरे इंतज़ार में खुली मेरी बाहें हैं
प्रिय सुरेन्द्र जी ये यादें ये चाह सदा बनी रहे .. प्यारा सृजन ...मन मिला रहे तो आनंद और आये
भ्रमर ५
ना जाने कब फरिश्तों की नगरी से बुलावा हो
जवाब देंहटाएंसुना था वहाँ रहती मोहब्बत-ए-पाक अरवाहें हैं
आइये ना हम फरिश्तों की नगरी लिए चलते हैं .....
dil ko chuti hai aapki rachana.....surendra jee...
जवाब देंहटाएंWAH MULHID SAHAB WAH....ACHHI GHAZAL HAI...WO ASHAR JO MUJHE KAFI PASAND AAYE WO HAIN....ना जाने कब फरिश्तों की नगरी से बुलावा हो
जवाब देंहटाएंसुना था वहाँ रहती मोहब्बत-ए-पाक अरवाहें हैं
इक तुझसे प्यार किया तो पहचान थी अपनी
आज दुनिया की नज़रों में हम गाहे-बगाहे हैं!