सोमवार, 20 फ़रवरी 2012

गाहे-बगाहे हैं!

चलते चलते इतनी दूर चला आया मैं


फिर भी लगती अजनबी सी राहें हैं

लाख नज़ारे देखे होंगे राह-ए-सफ़र में

ना जाने क्यों फिर भी सूनी सी निगाहें हैं

यूं तो तेरी यादों को साथ ले के चला था

अब गहराइयों में दिल की सिसकती सी आहें हैं

तुझे आगोश में लेने की बस तम्मना रह गयी

आज भी तेरे इंतज़ार में खुली मेरी बाहें हैं

ना जाने कब फरिश्तों की नगरी से बुलावा हो

सुना था वहाँ रहती मोहब्बत-ए-पाक अरवाहें हैं

इक तुझसे प्यार किया तो पहचान थी अपनी

आज दुनिया की नज़रों में हम गाहे-बगाहे हैं!

34 टिप्‍पणियां:

  1. "यूं तो तेरी यादों को साथ ले के चला था
    अब गहराइयों में दिल की सिसकती सी आहें हैं"....क्या ख़ूब लिखा है आपने, बहुत ही बेहतरीन अंदाज़ में आपने अपनी तमन्ना को बयान कीया है !

    आपको इस सुन्दर प्रस्तुति के लिए हार्दिक शुभ कामनाएँ!

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  2. लाख नज़ारे देखे होंगे राह-ए-सफ़र में
    ना जाने क्यों फिर भी सूनी सी निगाहें हैं
    यूं तो तेरी यादों को साथ ले के चला था
    अब गहराइयों में दिल की सिसकती सी आहें हैं

    हमेशा की तरह बेहद खूबसूरत रचना और हमेशा की ही तरह मैं शब्द ढूंढ रहा हूँ तारीफ़ करने के लिए :-)

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  3. यह उम्दा ग़ज़ल पढ़वाने के लिए शुक्रिया!
    महाशिवरात्रि की शुभकामनाएँ!

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  4. चलते चलते इतनी दूर चला आया मैं


    फिर भी लगती अजनबी सी राहें हैं

    लाख नज़ारे देखे होंगे राह-ए-सफ़र में

    ना जाने क्यों फिर भी सूनी सी निगाहें हैं

    यूं तो तेरी यादों को साथ ले के चला था

    अब गहराइयों में दिल की सिसकती सी आहें हैं
    Wah! Kya likhte hain aap!

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  5. वाह बहुत खूब ....


    नया दिन जब भी गुजरता हैं मुझे छु कर
    तुम पास हो ये ही एहसास मुझे हर पल होता हैं |....अनु

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  6. इक तुझसे प्यार किया तो पहचान थी अपनी

    आज दुनिया की नज़रों में हम गाहे-बगाहे हैं!
    Surendra jitareef keliye sabd kam pad jayenge,bahut hi sanvedansheel rachna.mamrmik prastuti.....badhai****

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  7. अपनी बात को शब्द देने का एक खूबसूरत प्रयास | सुन्दर रचना |

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  8. Fantastic creation -

    तुझे आगोश में लेने की बस तम्मना रह गयी
    आज भी तेरे इंतज़ार में खुली मेरी बाहें हैं

    Really touchy -- beautiful...

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  9. इक तुझसे प्यार किया तो पहचान थी अपनी

    आज दुनिया की नज़रों में हम गाहे-बगाहे हैं!

    ...बहुत सुन्दर...

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  10. इक तुझसे प्यार किया तो पहचान थी अपनी

    आज दुनिया की नज़रों में हम गाहे-बगाहे हैं

    thougtfull lines...again a touching poem...

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  11. भावपूर्ण रचना ... मन के जज्बातों को लिखा है ..

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  12. बेहद खूबसूरत भावपूर्ण रचना..... हार्दिक बधाई.....

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  13. इस रचना का सूफ़ियाना रंग लाजवाब है।
    इस सुंदर रचना के लिए बधाई...

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  14. इक तुझसे प्यार किया तो पहचान थी अपनी

    आज दुनिया की नज़रों में हम गाहे-बगाहे हैं!waah.

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  15. दिल बात को बयाँ करने का खूबसूरत अंदाज़ |
    अर्ज किया है ......
    तेरे चाहने से लोग मुझको जान जाते हैं |
    मैं वो खोई चीज़ हूँ जिसका पता तुम हो |
    सुन्दर रचना |

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  16. सुन्दर शब्दों से सजी सार्थक रचना...बहुत खूब...

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  17. मन के भावों को खूबसूरती से अभिव्यक्त किया है आपने।

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  18. इक तुझसे प्यार किया तो पहचान थी अपनी

    आज दुनिया की नज़रों में हम गाहे-बगाहे हैं!
    बेहतरीन भाव परवान करती रचना .

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  19. वाह!!!
    बहुत खूबसूरत रचना...
    बेहतरीन ब्लॉग.....आज पहली दफा आना हुआ.....बहुत खूब!!!!

    सादर.
    अनु

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    1. बहुत सुन्दर सृजन, बधाई.

      मेरे ब्लॉग" meri kavitayen" की नयी पोस्ट पर भी पधारने का कष्ट करें.

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    2. सुन्दर प्रस्तुति, सुन्दर भावाभिव्यक्ति, बधाई.

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  20. यूं तो तेरी यादों को साथ ले के चला था

    अब गहराइयों में दिल की सिसकती सी आहें हैं

    तुझे आगोश में लेने की बस तम्मना रह गयी

    आज भी तेरे इंतज़ार में खुली मेरी बाहें हैं
    प्रिय सुरेन्द्र जी ये यादें ये चाह सदा बनी रहे .. प्यारा सृजन ...मन मिला रहे तो आनंद और आये
    भ्रमर ५

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  21. ना जाने कब फरिश्तों की नगरी से बुलावा हो
    सुना था वहाँ रहती मोहब्बत-ए-पाक अरवाहें हैं

    आइये ना हम फरिश्तों की नगरी लिए चलते हैं .....

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  22. WAH MULHID SAHAB WAH....ACHHI GHAZAL HAI...WO ASHAR JO MUJHE KAFI PASAND AAYE WO HAIN....ना जाने कब फरिश्तों की नगरी से बुलावा हो
    सुना था वहाँ रहती मोहब्बत-ए-पाक अरवाहें हैं
    इक तुझसे प्यार किया तो पहचान थी अपनी
    आज दुनिया की नज़रों में हम गाहे-बगाहे हैं!

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