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दोस्तों,
आज मैंने अपनी पहली पंजाबी रचना लिखी है! मेरे एक मित्र हैं हरप्रीत सिंह जो दुबई में रहते हैं उन्होंने मुझ से कहा एक दिन की आप क्यों पंजाबी में नहीं लिखते! तो मैंने सोचा की आज लिख कर देखूं कैसा परिणाम आता है!
आप लोगों में से कुछ पंजाबी शायद न पढ़ पाएं, इसीलिए अपनी रचना हिंदी में भी लिख रहा हूँ! अगर फिर भी किसी को समझना हो तो बे-हिचक मुझे ईमेल भेज दें!
पंजाबी फोंट स्वीकार कर रहा था मेरा ब्लॉगर टेक्स्ट बॉक्स सो पिक्चर लगा रहा हूँ उन दोस्तों के लिए जो पंजाबी पढना जानते हैं!
"पलकां नु विछाया सजणा"
अज कल्लेयाँ बैठे हंजुआं नु पुछेया मैं,
कानू इन्ना लम्मा विछोडा पाया सजणा,
जदों रो रो के टुट बैठी हार के मैं,
तेरी तस्वीर नु घुट छाती लाया सजणा,
अक्खां बंद कर सोचन लग्गी रब बारे,
तेरा चेरा अक्खां अग्गे आया सजणा,
तेरे सजदे गल्लां कर के कुज देर,
बलदी होई अग्ग नु बुझाया सजणा,
तेरे बाजों जी हुन्न लग्गदा नि मेरा,
रावां तक्क तक्क जी भर आया सजणा,
हुन्न देर न कर आ बना ले अप्पना,
तेरे लई पलकां नु मैं विछाया सजणा!