जब तुम दूर गए तो पतझड़ था,
बस तेज़ हवा और अंधड़ था,
अब लौट बसंत फिर आया है,
तुम भी आओ फूलों की तरह,
डालों पे जो हैं सूने पड़े,
तेरी बाहों को छूने खड़े,
आ के बाहों में तुम ले लो,
उन सावन के झूलों की तरह,
इंतज़ार और अब होता नहीं,
रातों में घंटो सोता नहीं,
पल पल जुदाई का अब तो,
चुभने सा लगा शूलों की तरह,
अब देर न कर खो जाऊंगा,
आगोश-ए-क़ज़ा(१) सो जाऊंगा,
आँचल में समो ले तू मुझको,
उड़ ना जाऊं राह की धूलों की तरह!
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(१) मौत की बाहों में
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बहुत ही बढ़िया गीत है!
जवाब देंहटाएंइसे देखकर हमारे यहाँ बारिश भी होने लगी है!
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कल के चर्चा मंच पर इसे लगा दिया है!
वाह सुरेन्द्र भ्रा जी ! आपकी ये सावन की भीगी बयार सी पंक्तियाँ और ऐसे में प्रियतमा के विरह-पीड़ा की बहुत भावुक कर देने वाली अभिव्यकि पढ़ कर बिना सावन के ही एक मीठी सी यादों की ठंडी लहर जैसे पूरे अंतर्मन में सिहरन से भर गई और तन-मन में एक सौंधी सी यादों की खुशबू छोड़ गई.. दिल से ढेरों शुभकामनाएं स्वीकार कीजियेगा.. और अपनी ऐसी ही मधुमास सा अहसास करवाने वाली रचनाओं की फुहारों से हमे भिगोते रहिएगा...आभार !!
जवाब देंहटाएंreally
जवाब देंहटाएंbahut sunder bhavpuran likha hai apne..badhayee apne ahsaaso ko saflta purvak byaan kiya
अब देर न कर खो जाऊंगा,
जवाब देंहटाएंआगोश-ए-क़ज़ा(१) सो जाऊंगा,
आँचल में समो ले तू मुझको,
उड़ ना जाऊं राह की धूलों की तरह!
Wah Wah!
Ek ghoont aur!!!
जवाब देंहटाएंHello ji,
जवाब देंहटाएंExcellent... here is another feather in your cap!
Very beautifully written and what a climax!!
Regards,
Dimple
Na ho hairaan; na ho pareshaan...sawan sang wo bhi aayega...bahut khoob :-)
जवाब देंहटाएंहमेशा की तरह भावपूर्ण और शानदार बधाई
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंपहली बार आना हुआ पर बहुत अच्छा लगा
जवाब देंहटाएंइस गली में पहली दफे आना हुआ...........अच्छा लगा.......खूबसूरत प्रस्तुति के लिये साधुवाद
जवाब देंहटाएंRukiye,rukiye..'wo' aa jayegi!
जवाब देंहटाएंभावपूर्ण सुन्दर और मनमोहक रचना...
जवाब देंहटाएंबहुत ही बढ़िया, ख़ूबसूरत और मनमोहक गीत प्रस्तुत किया है आपने! बधाई!
जवाब देंहटाएंसावन आने से पहले ही सावन के एहसास के लिए शुक्रिया
जवाब देंहटाएंVery Beautiful...
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