सोमवार, 19 जुलाई 2010

बेगाने हो गए!

तेरी यादों ने यूं खब्त(१) कर दिया,
खुशियाँ गर्त और ग़म पहचाने हो गए,
महफ़िल में बैठे भी मुझे लगा ऐसे,
दश्त-ओ-दरिया(२) में मेरे ठिकाने हो गए,
जो कमरे मेरे घर इबादत के लिए थे,
जाने किस तरह से अब मयखाने हो गए,
खूगर(३) तेरी कशिश का मैं पहले ही था,
तेरे ग़म में बस पीने के बहाने हो गए,
ज़माने की रजीलियों(४) की क्या मिसाल दूं,
हर लफ्ज़ जैसे तीर के निशाने हो गए,
इक वक़्त था जो दोस्त भी होते थे साथ में,
खुद के साए भी अब तो बस बेगाने हो गए!

(१) पागल (२) रेत का समंदर (३) आदी (४) मतलबीपन

20 टिप्‍पणियां:

  1. वाह..वाह...!
    बहुत ही बेहतरीन ग़ज़ल लगाई है आज तो!
    --
    पढ़कर दिल बाग-बाग हो गया!

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  2. जो कमरे मेरे घर इबादत के लिए थे,
    जाने किस तरह से अब मयखाने हो गए,

    बहुत ही बढ़िया !

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  3. Hello SC,

    "खुद के साए भी अब तो बस बेगाने हो गए!"
    Iss se badiya nahi ho sakta tha climax :)

    Jo shabd nikle hain aapki kalam se,
    Wo bhi aaj aapke deewane ho gaye...

    Bahut achha likha hai aapne... I liked it!

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  4. जो कमरे मेरे घर इबादत के लिए थे,
    जाने किस तरह से अब मयखाने हो गए,

    Har-ek line pe munh se barbas waah nikal padtaa hai :)

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  5. Dear Urdu refresher,
    Shukriya!
    Khaksaar ki zabaan mein izaafa karne ke liye.....
    Behad Umda!
    Bahut kuchh yaad aata hai tumhe padh ke Mulhid!
    Sochta hoon..... Aana chhod doon!

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  6. सुरेन्द्र जी इस बेहतरीन ग़ज़ल के लिए दाद कबूल कीजिये...उर्दू के लफ़्ज़ों का क्या खूब प्रयोग किया है आपने...वाह वा...
    नीरज

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  7. जो कमरे मेरे घर इबादत के लिए थे,
    जाने किस तरह से अब मयखाने हो गए,
    वाह क्या बात है अच्छा गाते हो अच्छा लिखते हो बस ऐसे ही आगे बढते जाओ। आशीर्वाद।

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  8. हिंदी ब्लॉग लेखकों के लिए खुशखबरी -


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  9. Fantastic....Kaafi practical hai... bahut sahi hai... I love this one...ज़माने की रजीलियों की क्या मिसाल दूं,
    हर लफ्ज़ जैसे तीर के निशाने हो गए
    Net speed proper nahi hai...isliye aapke video nahi dek paai

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  10. अच्छा है । कुछ शब्दों के अर्थ भी पता चले ।

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  11. yeh aapkaa khud kaa krieshn he lekin ise aapke hm log jo khud ko khud se milaa rhe hen voh shaamil nhi hen so plz hmen bhi aapke saath shaamil kren vrnaa hmaaraa kyaa hm to akele the akele hen . akhtart khan akela kota rajsthan my hindi blog akhtarkhanakela.blogspot.com he jo akhtar khan akela titl se khul jaayegaa. akhtar khan akela kota rajsthan

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  12. इक वक़्त था जो दोस्त भी होते थे साथ में,
    खुद के साए भी अब तो बस बेगाने हो गए!

    यही दस्तूर है दुनिया का....

    regards

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  13. ज़माने की रजीलियों(४) की क्या मिसाल दूं,
    हर लफ्ज़ जैसे तीर के निशाने हो गए,
    ..बहुत खूब.

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