सोमवार, 2 अगस्त 2010

"उस बचपन से तू मिला दे मुझे"

प्रिय मित्रो,
आज की कविता मैं अपनी सभी महिला ब्लॉगर मित्रों को समर्पित कर रहा हूँ! जीवन के कुछ रोचक लम्हों को मैंने कविता में पिरोने की कोशिश की है, आशा करता हूँ की आप सभी को पसंद आएगी! हो सकता है की इस में अभी और गुंजाइश हो, तो सुझाव सादर आमंत्रित हैं!

"उस बचपन से तू मिला दे मुझे"

नाजों में पली और फूलो सी,
बाबुल के अंगना खेली मैं,
क्या माँ बाबा और क्या सखियाँ,
करती सब संग अठखेली मैं,
हर जिद मेरी पूरी होती,
लाडली जो थी अकेली मैं,
जब बढ़ने लगी औ सवाल उठे,
तो बन गयी माँ की सहेली मैं,
उड़ते लम्हों में वो पल आया,
दुल्हन से सजी थी नवेली मैं,
पल भर डोली में ऐसा लगा,
जैसे हो गयी फिर से अकेली मैं,
.
.
अगले दिन आँख खुली खुद को,
इक नयी जगह पाया मैंने,
ता उम्र यहीं पे बसेरा है,
दिल को ये समझाया मैंने,
पहले दिन ही अरमानो को,
ख़्वाबों का पंख लगाया मैंने,
पलकें मूंदी और पल भर में,
खुद को उड़ता पाया मैंने,
छोड़ पुराने रिश्ते - नए,
रिश्तों को अपनाया मैंने,
गुज़रते वक़्त के संग संग,
हर नया किरदार निभाया मैंने,
.
.
कितना अरसा बीत गया,
सब कुछ सपना सा लगता है,
मैं खुद में हूँ या हूँ भी नहीं,
तनहापन अपना लगता है,
रिश्तों में घिरी सी रहती हूँ,
खुद का वजूद कहीं ग़ुम तो नहीं,
आईना देख के बोले मुझे,
क्या हुआ तुम्हे ये तुम तो नहीं,
कोशिश करती हूँ हर लम्हा,
उम्मीदों को मैं निभा पाऊँ,
अपने नाज़ुक से कन्धों पे,
सुख दुःख का बोझ उठा पाऊँ,
.
.
फ़रियाद खुदा में करती हूँ,
कुछ पल का सुकून दिला दे मुझे,
इस जद्दो-जहद में खो जो गया,
उस बचपन से तू मिला दे मुझे,
उस बचपन से तू मिला दे मुझे!

40 टिप्‍पणियां:

  1. surendar bhai
    bahut hi marmik rachna ki hai apne dil ko chu liya
    kafi dino bad blog par ane ka samya mila
    badhiyan ji badhaiyan

    जवाब देंहटाएं
  2. Hello SC,

    Yaar, aapne kya topic chunaa hai iss baar...
    Trust me, you will touch new heights...

    Each line is just a reflection of a true writer!
    Great job done.

    Regards,
    Dimple

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  3. बीती यादों के रंग!
    बढ़ती उमंर के संग!
    --
    बहुत ही याद आते हैं!
    कभी-कभी
    इस अतीत पर
    हम खुद ही
    रीझ जाते हैं!!

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत ही सुन्दर और लाजवाब रचना लिखा है आपने! ख़ास दिन पर आपका ये उम्दा रचना सराहनीय है!
    मित्रता दिवस की हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनायें!

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  5. hamne kahaa surendra yah rachna to hamaari bhi mahila mitron ko acchhi hi lagegi....kyunki acchhi jo hai....magar sirf mahilaaon ko hi kyun bhalaa...??

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  6. उस बचपन से तू मिला दे मुझे,
    उस बचपन से तू मिला दे मुझे!
    Aah! Kaash aisa ho pata!
    Rachna ka har lafz,har pankti nihayat khoobsoorat aur arthpoorn hai.

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  7. बहुत खूब सुरेन्द्र जी हर स्त्री का दर्द बयां किया है आपने अपनी रचना में...वाह..
    नीरज

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  8. this is really very touchy Surender and surely lot of thoughts have gone in before writing these lines.....
    Also, really superb the way it has been articulated knowing you are a boy and can understand feelings of a girl/female so well

    Well done.........

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  9. surendr ji aapne alg alg umr ke pdhaav or unki zrurten chaahten aek sath smetne ki jo kaamyaab jaadugiri ki he iske liyen aapko bdhaayi lekin bhaayi hm bhi to hen is zmaane men zraa hm pr yaani aadiyon pr bhi to kuch likh daalo hmen intizaar he. akhtar khan akela kota rajsthan

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  10. bahut hi sunder kavita hai...ek baar ke liye aisa laga ki mein khud se mil rahi huun...very touched..really ver good

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  11. बहुत ही सुन्दर और लाजवाब रचना लिखा है
    मित्रता दिवस की हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनायें

    http://sanjaykuamr.blogspot.com/

    जवाब देंहटाएं
  12. बहुत सुन्दर , बचपन में डुबकियाँ लगा आए हम तो ।

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  13. हाय अल्लाह!
    ये कैसे लिख लिया???
    फ्रेंकली स्पीकिंग, आई एम आश्चर्यचकित!!!
    खैर जैसे भी लिखा वो तुम जानो दोस्त, पर अच्छा लिखा है.....
    तफरीह करनी हो तो फिल्लौर फ़िल्म फेस्टिवल ज़रूर देखने आयें!
    टैक्स फ्री! टैक्स फ्री! टैक्स फ्री!
    हा हा हा......

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  14. Hi Surender,

    This is one brilliant poetry!
    Kitne asaan shabdon me aapne ladkiyon ke jeevan kaal ki alag alag bhawanaaon,awastha ko vyakt kar diyaa

    Hats off to your skills :-)

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  15. Abhi thode dinon pahle "Subhadra Kumari Chauhan" ki ek kawita padhi thi, aapki kavita ki antim panktiyaa padh ke yaad aa gayee


    माना मैंने युवा-काल का जीवन खूब निराला है।
    आकांक्षा, पुरुषार्थ, ज्ञान का उदय मोहनेवाला है॥

    किंतु यहाँ झंझट है भारी युद्ध-क्षेत्र संसार बना।
    चिंता के चक्कर में पड़कर जीवन भी है भार बना॥

    आ जा बचपन! एक बार फिर दे दे अपनी निर्मल शांति।
    व्याकुल व्यथा मिटानेवाली वह अपनी प्राकृत विश्रांति॥

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  16. aapake andar ek aurat bhi hai .....apaki rachana ke abhiwyakti byan kar rahi hai .......bahut hi sundar ......shidhe dil tak pahunchi ......badhaai

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  17. बहुत अच्छी अभिव्यक्ति. अच्छी लगी बचपन की सैर.

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  18. बहुत ही सुंदर और भावपूर्ण कविता....धन्यवाद जी

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  19. Ek ladki ke manobhavo ko jis tarah se aapne apni rachna mein utara hai wo kabil-e-tareef hai... Good ONE

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  20. वाह....मर्मस्पर्शी !!! बहुत ही सुन्दर भावाभिव्यक्ति...

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  21. How do you do this man............I don't know any guy.......or can even imagine a guy knowing so much about a girl's emotions and feelings.......This is a very beautiful composition.

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  22. रचना बहुत सुन्दर है ... पर टिप्पणियों से ऐसा लग रहा है कि आपने जिनको ये रचना समर्पित किये हैं ... उन में से बहुत कम को अभी इस रचना के बारे में पता चला है ...

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  23. jab baat bachpan ki ho..to har ehsaas khoobsurat hota hai..aur us se upji rachna ho to..phir kya kehne...beautiful!

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  24. khte hai hr aadmi ke bhitr ek ourat our hr ourat ke bhitr ek aadmi chhupa hota hai .aapne ourat ke mn ko etni khoobsurti se apni njm me utara hai ki uski jitni prshnsha ki jaye km hai . aapki shchri nihsndeh bhut kismtwali hogi .
    shubhkamnaye .

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  25. bahut hi badhiya lagi aapki yah rachna bachapn ki yaaden kabhi n bhulne waali hoti hai ..shukriya

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  26. बहुत सुन्दर और लाजवाब कविता है बचपन की मीठी यादें हमेशा याद आती हैं। बधाई इस सुन्दर रचना के लिये।

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  27. bahut hi badiya laga pad kar....
    its really very nice...

    Meri Nayi Kavita par aapke Comments ka intzar rahega.....

    A Silent Silence : Naani ki sunaai wo kahani..

    Banned Area News : New drug shows promise against ovarian and breast cancer

    जवाब देंहटाएं
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    स्वतंत्रता दिवस के मौके पर आप एवं आपके परिवार का हार्दिक अभिनन्दन एवं शुभकामनाएँ !

    जवाब देंहटाएं
  29. एक पुरुष हो कर एक नारी की भावनाओं को महसूस कर यूँ लिख पाना सरल नहीं. आपने बहुत बढ़िया लिखा है. बधाई.

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  30. Pls read a thanks to you on "Bikahare sitare"(In sitaron se aage)..

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  31. आपको एवं आपके परिवार को श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें !

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  32. बेहद संवेदनापूर्ण रचना। पढ़कर आनंद आ गया।

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  33. आपकी टिपण्णी के लिए बहुत बहुत शुक्रिया! आपके नए पोस्ट का इंतज़ार है!

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  34. अगले दिन आँख खुली खुद को,
    इक नयी जगह पाया मैंने,
    ता उम्र यहीं पे बसेरा है,
    दिल को ये समझाया मैंने,

    Kya kehne, wah wah!

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