प्रिय मित्रों,
अपनी इस हास्य कविता की पहली पंक्ति मेरी नहीं है सो बहुत ही आदर के साथ मैं आप सभी से आज्ञा ले कर इसे प्रकाशित करना चाहूँगा! तो पेश-ए-खिदमत है, मेरी एक नयी हास्य कविता, आशा करता हूँ आप सभी को पसंद आएगी!
खुदा जब हुस्न देता है नजाकत आ ही जाती है,
खुशनसीब हैं वो कुड़ियां नियामत पा ही जाती हैं,
बदनसीब हैं वो लड़के जो राह चलते छेड़ें उन्हें,
गाहे बगाहे किसी न किसी की शामत आ ही जाती है,
बच जाते हैं जो खाली चप्पलें खा कर,
तन्हाई में चैन की सांसें लेते होंगे,
गलती से भी जो हत्थे चढ़ जाएँ इनके,
पीछा करते हुए ज़लालत आ ही जाती है,
ऊपर से गर तीन चार तगड़े भाई हो उनके,
फिर तो भैया क्या कहने धुनाई के,
अम्बुलेंस की ज़रूरत भी नहीं पड़ती है,
जनता अस्पताल पहुंचा ही जाती है,
या तो हुस्न-ओ-अदा हमें भी दे ए खुदा,
या छीन ले इन लड़कियों से भी,
चाकू उठाने की हिम्मत भले न हो,
क़त्ल करने की ताक़त आ ही जाती है!
चाकू उठाने की हिम्मत भले न हो,
जवाब देंहटाएंक़त्ल करने की ताक़त आ ही जाती है!
Hahahah... sahi hai bhaiya... shamat aa_hi jaati hai... ;))
Bohot badiya...
badiya hai
जवाब देंहटाएंman main dabi bhawnaon ko apne aaj sabko bata hi diya!!!!
;-)
या तो हुस्न-ओ-अदा हमें भी दे ए खुदा,
या छीन ले इन लड़कियों से भी,
चाकू उठाने की हिम्मत भले न हो,
क़त्ल करने की ताक़त आ ही जाती है!
Good hai!!!!
बहुत ही उन्नत हाल्य है!
जवाब देंहटाएं--
करवा चौथ पर सुन्दर प्रस्तुति!
--
आपकी पोस्ट को बुधवार के
चर्चा मंच पर लगा दिया है!
http://charchamanch.blogspot.com/
बहुत बढिया ..
जवाब देंहटाएंहा हा हा हा हा हा हा हा हा व्यंग्य अच्छा है.....
जवाब देंहटाएंregards
बदनसीब हैं वो लड़के जो राह चलते छेड़ें उन्हें,
जवाब देंहटाएंगाहे बगाहे किसी न किसी की शामत आ ही जाती है,
हा हा हा कहीं तुम्हारी शामत तो नही आयी कभी? खुदा खैर करे। अच्छी लगी व्यंग रचना। शुभकामनायें।
Hello SC,
जवाब देंहटाएंKya fantastic likha hai aapne...
Last lines are wonderful :)
Regards,
Stranger ;-)
खुदा जब हुस्न देता है नजाकत आ ही जाती है
जवाब देंहटाएंकदम गिन गिन कर रखते हैं कमर बल खा ही जाती है
padhte hain jab aisi rachna ... waah nikal hi jaati hai ...
जवाब देंहटाएंवाह क्या बात है !
जवाब देंहटाएंVery nice mast tha... majje aaye :)
जवाब देंहटाएंVary nice mast tha... majje aaye :)
जवाब देंहटाएंहा हा हा!
जवाब देंहटाएंसुरेंदर भाई,
ये चेंज पसंद आया!
लिखते हैं सुरेंदर जब,
छोड़ के रोमांस कोमेडी.......
(बहुत ट्राई किया... क़यामत, शाफाकात, अदावत, बगावत, वगेहरा, वगेहरा.....)
कुछ ठीक नहीं बना.....
हा हा हा हा!
आशीष
----
पहला ख़ुमार और फिर उतरा बुखार!!!
ग़ज़ल को क्या नया रंग बख्शा है.......मोहतरमा !!!!!
जवाब देंहटाएंबदनसीब हैं वो लड़के जो राह चलते छेड़ें उन्हें,
गाहे बगाहे किसी न किसी की शामत आ ही जाती है,
उफ्फ्फ......क्यों लड़कों को आईना दिखा रहीं हैं......!
दीपावली के इस पावन पर्व पर ढेर सारी शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना. आभार.
जवाब देंहटाएंइस ज्योति पर्व का उजास
जगमगाता रहे आप में जीवन भर
दीपमालिका की अनगिन पांती
आलोकित करे पथ आपका पल पल
मंगलमय कल्याणकारी हो आगामी वर्ष
सुख समृद्धि शांति उल्लास की
आशीष वृष्टि करे आप पर, आपके प्रियजनों पर
आपको सपरिवार दीपावली की बहुत बहुत शुभकामनाएं.
सादर
डोरोथी.
आपको और आपके परिवार को एक सुन्दर, शांतिमय और सुरक्षित दिवाली की हार्दिक शुभकामनायें !
जवाब देंहटाएंआपको और आपके परिवार को एक सुन्दर, शांतिमय और सुरक्षित दिवाली की हार्दिक शुभकामनायें !
जवाब देंहटाएंदीपावली की असीम-अनन्त शुभकामनायें.
जवाब देंहटाएंआपको एवं आपके परिवार को दिवाली की हार्दिक शुभकामनायें!
जवाब देंहटाएंआपको बाल दिवस की शुभकामनायें !
जवाब देंहटाएंबहुत ही मजे दार रचना सुरेन्द्र साहब... बहुत ही जमीनी बात वो भी मजेदार तरीके से पेश किया आपने.. आभार..
जवाब देंहटाएंआप हमारे ब्लॉग पर आये, हमारा हौंसला बढाया.. बहुत-बहुत धन्यवाद आपका.. फुर्सत में फिर आईयेगा, आपका स्वागत है..