शुक्रवार, 1 अक्टूबर 2010

"इक अजनबी से दो बातें"

"इक अजनबी से दो बातें"

उस गुल-अन्दाम(१) अजनबी से इक बात,
एक खूबसूरत सा एहसास बन गयी,
तन्हाई के ज़ख्मो की मुदावा(२) माफिक,
मामूली सी जो लगती थी ख़ास बन गयी,
अधूरी सी थी जो दिल में इक ख्वाहिश,
परदाख्त(३) हुई और वो मेरे पास बन गयी,
हर पल मेरे लिए तेरी ये तवज्जो(४)
टूटती साँसों को जोडती सांस बन गयी,
इंतज़ार है कब मुलाक़ात होगी उस से,
ये दस्त-निगारी(५) मेरे जीने की आस बन गयी,
तुझे देखने की कशिश उस गनजीना(६) सी है,
जो मेरे सफ़र की सब से बड़ी तलाश बन गयी!
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(१) खूबसूरत (२) औषधि (३) पूर्ण (४) एहमियत (५) चाहत (६) खजाना

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14 टिप्‍पणियां:

  1. हर पल मेरे लिए तेरी ये तवज्जो(४)
    टूटती साँसों को जोडती सांस बन गयी,
    इंतज़ार है कब मुलाक़ात होगी उस से,
    ये दस्त-निगारी(५) मेरे जीने की आस बन गयी..
    वाह! बहुत खूब लिखा है आपने! बेहद ख़ूबसूरत और लाजवाब रचना! बधाई!

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  2. hume "waah!" kahne ke liye naye shabd nahin milte... paataa nahin aap shabdon ka itnaa achchha taana baana kaise bun lete hain...

    isiliye wahi shabd duhraa rahaa hoon...

    "WAAAH!!"

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  3. सुरेंदर भाई,
    मुझसे आपकी कब बात हुई!? हा हा हा.....
    चलिए खैर जिससे भी हुई, आपकी आस पूरी हो, हमारी यही अरदास है!
    आशीष

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  4. Mashaallah !Its so touchy and emotional .Aap sahi mein itni achi hindi jantein hain yakeen nahin hota .

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  5. सलामत रहे दोस्ताना तुम्हारा!
    --
    बहुत बढ़िया अहसास है इस नज्म में!
    --दो अक्टूबर को जन्मे,
    दो भारत भाग्य विधाता।
    लालबहादुर-गांधी जी से,
    था जन-गण का नाता।।
    इनके चरणों में श्रद्धा से,
    मेरा मस्तक झुक जाता।।

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  6. very good the most good thing is that you mention meaning of difficult words otherwise i will not be able to write comment
    please do the same in every post
    it will improve my hindi and urdu

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  7. इंतज़ार है कब मुलाक़ात होगी उस से,
    ये दस्त-निगारी(५) मेरे जीने की आस बन गयी,
    बेटा जी बहुत बहुत बधाईयाँ। अच्छी लगी रचना।

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  8. अजनबी से इक बात,
    एक खूबसूरत सा एहसास बन गयी!
    बहुत वडिया!

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  9. अच्छा हुआ आपने साथ में शब्द के मतलब भी दे दिए वरना ये मेरे बस कि बात नहीं थी समझ पाना ...
    रचना सुन्दर है ...

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  10. हर पल मेरे लिए तेरी ये तवज्जो(४)
    टूटती साँसों को जोडती सांस बन गयी,
    beautiful expressions

    regards

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