तू मेरी चाहत का यूं ही इम्तेहान न ले ओ ज़ालिम
तेरे दिल में समंदर सा प्यार न भर दूं तो कहना
कुछ ऐसा कर दूंगा की आकिबत(१) में तू ढूंढे मुझे
बाहों में टूटने को मजबूर न कर दूं तो कहना
ये जो सज संवर के निकलते हो दिखावटी चिलमन ओढ़े
इसे फ़ाज़िल(२) निगाहों से तार-तार न कर दूं तो कहना
अभी तो तुझ से रू-ब-रू ही करता रहता हूँ मैं
इक दिन इज्तेमा-ए-महफ़िल(३) इज़हार न कर दूं तो कहना
तेरी हर ख्वाहिश को पूरा करने की कोशिश में
दिखता तो जो बस एक है, वो चाँद चार न कर दूं तो कहना
तू तो बस मुझे वो नादिर(४) मुहब्बत के दो फूल दे दे
उन्ही दो फूलों से दामन गुलज़ार न कर दूं तो कहना
जो तू साथ न छोड़े ता-उम्र मेरा ए मुश्फिक(५)
मौत के फ़रिश्ते को भी इनकार न कर दूं तो कहना
इतनी कशिश है मेरी मुहब्बत की तासीर में
दूर हो के भी तुझ पे असर न कर दूं तो कहना!
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(१) पुनर्जन्म (२) तेज़, शातिर (३) हजारों लोगो की भीड़ (४) खूबसूरत (५) दोस्त
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युवा मन की प्यारी रचना!
जवाब देंहटाएंहम तो कब से तरस रहे थे आपका ब्लॉग पढ़ने के लिए!
जो तू साथ न छोड़े ता-उम्र मेरा ए मुश्फिक(५)
जवाब देंहटाएंमौत के फ़रिश्ते को भी इनकार न कर दूं तो कहना
इतनी कशिश है मेरी मुहब्बत की तासीर में
दूर हो के भी तुझ पे असर न कर दूं तो कहना!
Subhan'Allah!!!
आपकी कविता काबिले तारीफ़ है. इसमें जड़े गए शब्द बेहत खूबसूरत हैं कि उन्हें बार बार दोहराने का मन कर रहा है. आपके इस सुन्दर रचना के लिए में आपको मुबारकबाद देना चाहूंगी. आप ऐसे ही लिखते रहिये.
जवाब देंहटाएंबहुत ही बढ़िया है !
जवाब देंहटाएं:)
जवाब देंहटाएंTypical Surender!
इन्तहा,
जवाब देंहटाएंसुरेन्द्र भाई ,
इन्तहा.
बहुत खूब लिखा है.
बहुत सुन्दर और लाजवाब रचना लिखा है आपने जो काबिले तारीफ़ है! बधाई!
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचना दिल से लिखी कविता दिल तक पहुँचाने के लिए! !वाह.....
जवाब देंहटाएंप्रेम में यह दावा जायज ही है...
जवाब देंहटाएंभावपूर्ण बहुत सुन्दर रचना...
कुछ ऐसा कर दूंगा की आकिबत(१) में तू ढूंढे मुझे
जवाब देंहटाएंबाहों में टूटने को मजबूर न कर दूं तो कहना ...
प्रेम पर ऐसा गरूर देख कर अच्छा लगता है ... लाजवाब लिखा है ...
टिप्पणी देकर प्रोत्साहित करने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया!
जवाब देंहटाएंजो तू साथ न छोड़े ता-उम्र मेरा ए मुश्फिक(५)
जवाब देंहटाएंमौत के फ़रिश्ते को भी इनकार न कर दूं तो कहना
...बहुत सुन्दर प्रस्तुति...
कुछ ऐसा कर दूंगा की आकिबत(१) में तू ढूंढे मुझे
जवाब देंहटाएंबाहों में टूटने को मजबूर न कर दूं तो कहना
वाह क्या बात है ... लगे रहिये एक दिन ज़रूर मंजिल हासिल होगी !
प्रिय सुरेन्द्र "मुल्हिद" जी
जवाब देंहटाएंमुहब्बत में इतनी दावेदारियां !
:)
तू तो बस मुझे वो नादिर मुहब्बत के दो फूल दे दे
उन्ही दो फूलों से दामन गुलज़ार न कर दूं तो कहना
अब इश्क़ में आशिकों की शिक़स्त के ज़माने गए … बहुत सता लिया ज़माने ने रांझे , मजनू , महिवाल , रोमियो को …
अब सुरेन्द्र - राजेन्द्र का ज़माना है … ;)
प्यारी रचना के लिए मुबारकबाद !
♥हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !
♥
- राजेन्द्र स्वर्णकार
josh sey bhari yeh rachna... bohot undaa...
जवाब देंहटाएंesp:
दिखता तो जो बस एक है, वो चाँद चार न कर दूं तो कहना
bohot khub...
इतनी कशिश है मेरी मुहब्बत की तासीर में
जवाब देंहटाएंदूर हो के भी तुझ पे असर न कर दूं तो कहना!
वाह बेटा लगता है खुद पर बहुत गरूर है\ सुन्दर रचना के लिये बधाई।
आपकी उत्साहवर्धक टिप्पणी के लिए शुक्रिया!
जवाब देंहटाएंsimply beautiful !!!
जवाब देंहटाएंसुरेन्द्र जी आपने कमाल की पंक्तियाँ लिखा है टिप्पणी में जो मुझे बहुत अच्छा लगा! शुक्रिया !
जवाब देंहटाएंबहुत खूब .. खुद पे गरूर ... क्या बात है ...
जवाब देंहटाएंआप जैसे महान लेखक की टिप्पणी के वजह से मेरे लिखने का उत्साह दुगना हो जाता है!
जवाब देंहटाएंइरादे बलंद है (नेक भी हैं ) !:)
जवाब देंहटाएंbahut khoob sir
जवाब देंहटाएंBadla hua blog achchha lag raha hai..Badhai.
जवाब देंहटाएंनया पता नोट कर लिया है!
जवाब देंहटाएंबहुत अनमोल शेर सजाए हैं आपने ्पनी नज्म में!
बहुत ही बढ़िया
जवाब देंहटाएंvery nice and thanks -- kiran
जवाब देंहटाएंvery nice and thanks -- kiran
जवाब देंहटाएंतेरे दिल में समंदर सा प्यार न भर दूं तो कहना
जवाब देंहटाएंकुछ ऐसा कर दूंगा की आकिबत(१) में तू ढूंढे मुझे
बाहों में टूटने को मजबूर न कर दूं तो कहना
bahut kuch waade kar rahe hain sir ji...l.
बेहतरीन ...
जवाब देंहटाएंमौत के फ़रिश्ते को भी इनकार न कर दूं तो कहना
जवाब देंहटाएंइतनी कशिश है मेरी मुहब्बत की तासीर में
दूर हो के भी तुझ पे असर न कर दूं तो कहना!
"kisi khaas ke liye khaas ehsaas..behd khubsurat"
दिल के एहसासों के साथ ...खूबसूरत रचना ...बहुत खूब
जवाब देंहटाएंbeautiful poem
जवाब देंहटाएंक्या कहना! इसे कह सकते हैं इबादते इश्क और क्या खूब अंदाजे बयाँ !
जवाब देंहटाएंसुरेन्द्र जी आप इतना अच्छा लिखते हैं कि बहुत से लोगों को आश्चर्य होता है कि आप वही सुरेन्द्र हैं जो 15 साल पहले थे..
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