चन्द रोज पहले उन से मुलाकात ने
कुछ ऐसा निशान दिल पे छोड़ दिया
यूँ लगा बिस्मिल्ला कर इलाही ने
दो अरवाहों(१) को इक दूजे से जोड़ दिया
वो मुझ में और मैं उन में
कुछ इस कदर से गुम थे हो गए
बस आगोशी की खुश्बू इन्तिशार(२) हुई
और शर्म-ओ-हया का चिलमन तोड़ दिया
क़रीबियत का एहसास रश्क-ए-जिनान(३) सा था
यकायक खुद को तेरी बाहों में तोड़ दिया
निकला था घर से खुदा की बन्दगी करने
मोहब्बत के फरिश्तों ने तेरी ग़ली मोड़ दिया
तू दूर है मुझसे फिर भी सांसों में रिहाइश है
तेरी तपिश के सिवा ना खुद को कुछ और दिया
यादों की नीव पे तामीर(४) ख्वाबों का घरौन्दा
आज मिल गया और महलों को मैने छोड़ दिया
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(१) आत्माओं (२) फैलना (३) जन्नत जैसा (४) खडा किया हुआ
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यादों की नीव पे तामीर ख्वाबों का घरौन्दा
जवाब देंहटाएंआज मिल गया और महलों को मैने छोड़ दिया
-क्या बात है...बहुत खूब!!!!
निकला था घर से खुदा की बन्दगी करने
जवाब देंहटाएंमोहब्बत के फरिश्तों ने तेरी ग़ली मोड़ दिया
तू दूर है मुझसे फिर भी सांसों में रिहाइश है
तेरी तपिश के सिवा ना खुद को कुछ और दिया
वाह बहुत खूब....प्यार को दिल से महसूस करवा दिया आपने ....
बेहतरीन रचना कविता दिल तक पहुँचाने के लिए.....! शुभकामनायें
जवाब देंहटाएं.... प्रशंसनीय रचना
जवाब देंहटाएंकभी फुर्सत मिले तो नाचीज़ की दहलीज़ पर भी आयें-
संजय कुमार
हरियाणा
http://sanjaybhaskar.blogspot.com
निकला था घर से खुदा की बन्दगी करने
जवाब देंहटाएंमोहब्बत के फरिश्तों ने तेरी ग़ली मोड़ दिया
Ye 'ahsaas' itna khoobsoorat hai ki ise baar baar padhne ka ji kartaa hai. Bahut khoob!!! wah!
nice
जवाब देंहटाएंतू दूर है मुझसे फिर भी सांसों में रिहाइश है
जवाब देंहटाएंतेरी तपिश के सिवा ना खुद को कुछ और दिया
यादों की नीव पे तामीर(४) ख्वाबों का घरौन्दा
आज मिल गया और महलों को मैने छोड़ दिया
Bahut khoob! Maza aa gaya!
बेहतरीन रचना कविता दिल तक पहुँचाने के लिए.....! शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंयादों की नीव पे तामीर ख्वाबों का घरौन्दा
जवाब देंहटाएंआज मिल गया और महलों को मैने छोड़ दिया
Kya baat... bohot unda bhai...
ब्लॉग को पढने और सराह कर उत्साहवर्धन के लिए शुक्रिया.
जवाब देंहटाएंनिकला था घर से खुदा की बन्दगी करने
जवाब देंहटाएंमोहब्बत के फरिश्तों ने तेरी ग़ली मोड़ दिया!
आशा करते है मोहब्बत के फरिस्ते आपको ताउम्र खुश रखे!
यादों की नीव पे तामीर ख्वाबों का घरौन्दा
जवाब देंहटाएंआज मिल गया और महलों को मैने छोड़ दिया
क्या बात है...बहुत खूब
बेहतरीन रचना के लिए.. शुभकामनायें
सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ लाजवाब रचना! उम्दा प्रस्तुती!
जवाब देंहटाएंमेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://seawave-babli.blogspot.com/
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
यूँ लगा बिस्मिल्ला कर इलाही ने
जवाब देंहटाएंदो अरवाहों(१) को इक दूजे से जोड़ दिया
wowest......thnks to publish this beautiful creation
jabab nahi...
जवाब देंहटाएंcomment ke liyak nahi hoon:)
बहुत खूबसूरत ग़ज़ल लिखी है आपने!
जवाब देंहटाएंनियमित लिखते रहें!
behad khoobsurat......
जवाब देंहटाएंनिकला था घर से खुदा की बन्दगी करने
जवाब देंहटाएंमोहब्बत के फरिश्तों ने तेरी ग़ली मोड़ दिया
....लाज़वाब ! बहुत सुन्दर प्रस्तुति..
मेरी नई पोस्ट पर आपका स्वागत है
जवाब देंहटाएं' नीम ' पेड़ एक गुण अनेक..........>>> संजय भास्कर
http://sanjaybhaskar.blogspot.com/2011/07/blog-post_19.html
वाह ! बहुत सुन्दर तरीके से आपने अपनी बात कह डाली.. उम्दा
जवाब देंहटाएंभावो को बहुत ही खूबसूरती से प्रस्तुत किया है आपने
जवाब देंहटाएंकोमल भावों की मनमोहक अभिव्यक्ति...वाह वाह वाह...
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत रचना दिल को छु लिया
जवाब देंहटाएंअच्छा लगा आपके ब्लॉग पर आकर
हमेशा की तरह बेहद खूबसूरत अभिव्यक्ति. आभार.
जवाब देंहटाएंसादर,
डोरोथी.
सुन्दर रचना ......खूबसूरत अभिव्यक्ति.....
जवाब देंहटाएंमेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
जवाब देंहटाएंhttp://seawave-babli.blogspot.com
आप इतना अच्छा लिखते हैं...बहुत लोगों को तो यक़ीन नहीं होता कि आप वही सुरेन्द्र हैं जो कि आप 15 साल पहले थे..
जवाब देंहटाएंतू दूर है मुझसे फिर भी सांसों में रिहाइश है
जवाब देंहटाएंतेरी तपिश के सिवा ना खुद को कुछ और दिया
खुदा करे दर्दे मुहब्बत न हो किसी को नसीब
मुझसे ये तकलीफ अब देखी नहीं जाती :)
स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें...
जवाब देंहटाएंसादर,
डोरोथी.
आपको एवं आपके परिवार को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें!
जवाब देंहटाएंमेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://seawave-babli.blogspot.com/
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
वाह साहब ! क्या लिखते हैं आप.. पहली बार आपको पढ़ा.. बहुत आनंद आया.. आभार...
जवाब देंहटाएंतू दूर है मुझसे फिर भी सांसों में रिहाइश है
जवाब देंहटाएंतेरी तपिश के सिवा ना खुद को कुछ और दिया
वाह, बेहतरीन पंक्तियाँ !
लाजवाब ... मज़ा आ गया पढ़ कर ... बेहतरीन ...
जवाब देंहटाएंVery Nice Creation Really Surendra Ji..
जवाब देंहटाएंHappy Durga Puja...