मंगलवार, 11 अक्टूबर 2011

मुश्क-ए-जज़्बात

उन्होंने चेहरे पे जुल्फें यूं बिखरायीं


जैसे सावन की गर्त काली रात हुई हो

नूर-ए-चश्म झांकता सा गेसुओं के चिलमन से

जैसे सुर्ख बादलों से उसकी बात हुई हो

इक पल को ही जो उनके दीदार हो जाएँ

लगे ज़िन्दगी की मुकम्मल सौगात हुई हो

जो झटक दें जुल्फों से पानी के कुछ कतरे

यूं लगे रिमझिम मुहब्बत की बरसात हुई हो

नज़र उठा के देख लें जो वो झरोखों से

क़दमों में जैसे झुकी झुकी कायनात हुई हो

उनके रुखसार की रौशनी से ही उजाला है

जो ढक ले कभी तो दिन में मानो रात हुई हो

खुदा ने भी शायद उन्हें शिद्दत से तराशा है

मानो सबसे काबिल शिल्पी से उसकी बात हुई हो

55 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर ग़ज़ल है सुरेन्द्र जी. बधाई.

    जवाब देंहटाएं
  2. मखमली गज़ल के लिए शुक्रिया । अंदाज-ए-बयां बेहद खूबसूरत है

    जवाब देंहटाएं
  3. amazingly written...so beautiful to remember..warm congrats for your this creation.

    जवाब देंहटाएं
  4. जिस शिद्दत से खुदा ने उन्हें तराशा है, शायद आपने उसी शिद्दत से इस ग़ज़ल को तराशा है. बेहद खूबसूरत.. आफरीन

    जवाब देंहटाएं
  5. खुदा ने भी शायद उन्हें शिद्दत से तराशा है

    मानो सबसे काबिल शिल्पी से उसकी बात हुई हो

    वाह क्या बात कही है……………शानदार गज़ल्।

    जवाब देंहटाएं
  6. इक पल को ही जो उनके दीदार हो जाएँ
    लगे ज़िन्दगी की मुकम्मल सौगात हुई हो
    --
    ग़ज़ल के सभी अशआर बहुत खूबसूरत लिखे हैं आपने!

    जवाब देंहटाएं
  7. Sir ji,

    Kaise hain ?
    Bahut hi badiya :) Rang roop badal gaya blog ka... chalo achhi baat hai - main waise hi kaafi time baad aayi :)
    Nice to read ur composition :)

    Regards,
    Dimple

    जवाब देंहटाएं
  8. नज़र उठा के देख लें जो वो झरोखों से

    क़दमों में जैसे झुकी झुकी कायनात हुई हो
    sunder gajal umda prastuti

    जवाब देंहटाएं
  9. खुदा ने भी शायद उन्हें शिद्दत से तराशा है

    मानो सबसे काबिल शिल्पी से उसकी बात हुई हो
    ji sahi kaha unse bada shilpkar koi nahi hai
    sunder gazal ke liye badhai
    rachana

    जवाब देंहटाएं
  10. सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ लाजवाब ग़ज़ल लिखा है आपने ! शानदार प्रस्तुती!
    मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
    http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
    http://seawave-babli.blogspot.com

    जवाब देंहटाएं
  11. रूहानियत और अभिव्यक्ति का मिला जुला ...समावेश ...बहुत खूब

    जवाब देंहटाएं
  12. नज़र उठा के देख लें जो वो झरोखों से

    क़दमों में जैसे झुकी झुकी कायनात हुई हो
    Wah...wah...wah! Kya baat hai! Gazab kee rachana!

    जवाब देंहटाएं
  13. कोई कसर नहीं छोड़ी ... बहुत सुंदर रचना

    जवाब देंहटाएं
  14. खुदा ने भी शायद उन्हें शिद्दत से तराशा है
    मानो सबसे काबिल शिल्पी से उसकी बात हुई हो
    ..sundar alfaz...

    जवाब देंहटाएं
  15. बहुत खूब हमेशा की तरह दिल से निकले हुये शब्द व भाव। सुरिन्दर जी कैसे हैं आप आपकी मेल मिली थी लेकिन जल्दी जवाब इस लिये नही दे पाई कि उसे देखा ही कई दिन बाद आजकल रोज़ नेट पर नही आ पाती स्वस्थ होते ही हाज़िर होती हूँ धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
  16. आपको एवं आपके परिवार के सभी सदस्य को दिवाली की हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनायें !
    मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
    http://seawave-babli.blogspot.com/
    http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/

    जवाब देंहटाएं
  17. क्या बात है! कोई भी रस्क कर सकता है ऐसी खूबसूरती को पाने वाले से !

    जवाब देंहटाएं
  18. बहुत ख़ूबसूरत अभिव्यक्ति....दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें!

    जवाब देंहटाएं
  19. मानो सबसे काबिल शिल्पी से उसकी बात हुई हो..

    ये शिल्पी to आप ही लगते हैं .....:))

    जवाब देंहटाएं
  20. आपकी उत्साहवर्धक टिप्पणी के लिए धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
  21. क पल को ही जो उनके दीदार हो जाएँ

    लगे ज़िन्दगी की मुकम्मल सौगात हुई हो

    जो झटक दें जुल्फों से पानी के कुछ कतरे

    यूं लगे रिमझिम मुहब्बत की बरसात हुई हो

    umda prastuti...

    जवाब देंहटाएं
  22. नज़र उठा के देख लें जो वो झरोखों से
    क़दमों में जैसे झुकी झुकी कायनात हुई हो....
    ankhon mein nami hi reh gayi...aisa laga jaise ki
    kuch yun apki gazhal mein kisi se mulaqat hui ho:)

    जवाब देंहटाएं
  23. "खुदा ने भी शायद उन्हें शिद्दत से तराशा है

    मानो सबसे काबिल शिल्पी से उसकी बात हुई हो"

    वाह.. ख्यालों की शकल मैं आरज़ू को बेहद उम्दा अल्फाज़ दिए हैं.. आभार.

    जवाब देंहटाएं
  24. आपके पोस्ट पर आकर अच्छा लगा । मेरे नए पोस्ट शिवपूजन सहाय पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं
  25. टिप्पणी देकर प्रोत्साहित करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
  26. आप नियमित रूप से मेरे हर पोस्ट पर आकर टिप्पणी देकर प्रोत्साहित करने के लिए शुक्रिया!

    जवाब देंहटाएं
  27. खुदा ने भी शायद उन्हें शिद्दत से तराशा है

    मानो सबसे काबिल शिल्पी से उसकी बात हुई हो
    Behadd sunder shabd...

    जवाब देंहटाएं
  28. खुदा ने भी शायद उन्हें शिद्दत से तराशा है
    मानो सबसे काबिल शिल्पी से उसकी बात हुई हो ....
    wah aisa lagta hai ki ye mera apna sher hai..bahut khoob.

    जवाब देंहटाएं
  29. लम्बे समय से अपने कुछ लिखा नहीं :) ये क्या बात हुयी !

    जवाब देंहटाएं
  30. बहुत ही रोमांटिक रचना है पड़ कर मन खुश हो गया मेरे ब्लॉग पर आने के लिए बहुत -बहुत धन्यवाद साथ ही क्षमा चाहूंगी समय कि कमी के कारण आप के ब्लॉग पर नहीं आ पाती हूँ

    जवाब देंहटाएं
  31. आपका पोस्ट अच्छा लगा । मेरे नए पोस्ट "खुशवंत सिंह" पर आपकी प्रतिक्रियायों की आतुरता से प्रतीक्षा रहेगी । धन्यवाद ।

    जवाब देंहटाएं
  32. बहुत बहुत धन्यवाद आपकी उत्साहवर्धक टिप्पणी के लिए!

    जवाब देंहटाएं
  33. वाह! बहुत ही उम्दा शब्द इस्तेमाल किये है आप ने,खूब लिखते है आप,आप की रचना की तारीफ में मैं कुछ दिन पहले लिखी पंक्तियाँ रखती हूँ.... चाँद से नूर थोडा, खुदा ने उठाया होगा
    जब तुम्हारे जिस्म की रंगत को बनाया होगा

    टिमटिमाते दो तारे रख दिए आँखों में तुम्हारी
    और काली घटाओं से, बालों को बनाया होगा


    होठ ऐसे के, लगे नाजुक पंखुड़ी कमल की हो
    कमल की पखुडिया वो कैसे तराश पाया होगा !!पहली बार ब्लॉग पर आना हुआ,सुंदर है आप का ब्लॉग...

    जवाब देंहटाएं
  34. क्या बात है हर अश आर ला ज़वाब है .

    जवाब देंहटाएं
  35. जो झटक दें जुल्फों से पानी के कुछ कतरे

    यूं लगे रिमझिम मुहब्बत की बरसात हुई हो
    Waah Waah Kya baat hai...

    जवाब देंहटाएं
  36. बहुत खूबसूरत............

    लाजवाब!!!

    अनु

    जवाब देंहटाएं