गर चाँद से मुखड़े का दीदार दे दे,
तेरा कौन सा कोई खर्चा होगा,
चार जगह तेरी तारीफ कर दूंगा,
हर तरफ़ बस तेरा चर्चा होगा,
तुझे देखने के लिए कतारें लगेंगी,
सभी के हाथ अर्जी का पर्चा होगा,
तेरी जुल्फों का घना साया देख,
बादल घुमड़ घुमड़ गरजा होगा,
तेरे लबों की नक्काशी करने वाला भी,
इक बार इन्हे चूमने को तरसा होगा,
तराशते ईमान खुदा का भी डोला होगा,
तभी खुशी में बादल बेपनाह बरसा होगा!
A poem full of feelings written with subtle touch of the beauty of expression...a poem as beautiful as ever...
जवाब देंहटाएंसुरेन्द्र मुल्हिद जी!
जवाब देंहटाएंआपकी गज़ल ताल,लय और वजन सभी में फिट है।
बहुत-बहुत बधाई!
kya bat hai ji....deedar de de wo yahi kahenge unse ham
जवाब देंहटाएंतुझे देखने के लिए कतारें लगेंगी,
जवाब देंहटाएंसभी के हाथ अर्जी का पर्चा होगा,
Kya baat hai bhai...waah...naya andaaz hai aur hai bhi bahut dilkash.
neeraj
bariya likha hai sir...
जवाब देंहटाएंतेरे लबों की नक्काशी करने वाला भी...
इक बार इन्हे चूमने को तरसा होगा...
तराशते ईमान खुदा का भी डोला होगा...
Good Composition!!!
Jo Neeraj jee ne kaha, wahee mai bhee kahtee hun!Harek panktee ke saath ek tasveer khinchee chalee jatee hai..
जवाब देंहटाएंतेरे लबों की नक्काशी करने वाला भी,
जवाब देंहटाएंइक बार इन्हे चूमने को तरसा होगा,
तराशते ईमान खुदा का भी डोला होगा,
तभी खुशी में बादल बेपनाह बरसा होगा!
आप भी कम कमाल नही करते है/सिर्फ यही कहने को जी चाह रहा है वाह वाह वाह वाह वाह वाह .........................
तुझे देखने के लिए कतारें लगेंगी,
जवाब देंहटाएंसभी के हाथ अर्जी का पर्चा होगा
वाह वाह अपनी अर्जीदी? मंजूर हो गयी तो बता देना बधाई तो आपको दे ही देंगे\ बहुत बदिया
वाह बहुत बढ़िया लिखा है आपने! गाँधी जयंती की शुभकामनायें!
जवाब देंहटाएंबढ़ा दो अपनी लौ
जवाब देंहटाएंकि पकड़ लूँ उसे मैं अपनी लौ से,
इससे पहले कि फकफका कर
बुझ जाए ये रिश्ता
आओ मिल के फ़िर से मना लें दिवाली !
दीपावली की हार्दिक शुभकामना के साथ
ओम आर्य
तुझे देखने के लिए कतारें लगेंगी,
जवाब देंहटाएंसभी के हाथ अर्जी का पर्चा होगा,
वाह!
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बधाई।
बी एस पाबला