काश कोई रिश्ता निभाना न पड़े,
किसी को यूँ छोड़ के जाना न पड़े,
यादों की शम्मा को जला के कभी,
बेदर्दी से उसको बुझाना न पड़े,
करीबी लोगो से रखना परहेज,
कहीं बाद में धोखा खाना न पड़े,
चिलमन-ऐ-नैन खामोश ही रखना,
मुफलिसी में इन्हे झुकाना न पड़े,
तन्हाई में पी लूँ आज कुछ मैं ऐसे,
मयखाने में जाम छलकाना न पड़े,
बुला ले खुदा दूर इतना मुझे,
ज़माने की महफ़िल में आना न पड़े,
ज़माने की महफ़िल में आना न पड़े!
बुला ले खुदा दूर इतना मुझे,
जवाब देंहटाएंज़माने की महफ़िल में आना न पड़े,
ज़माने की महफ़िल में आना न पड़े!
बहुत बढ़िया लिखा है!
गौर करें-
जगत चबेना काल का,
कुछ मुख में कुछ गोद!
यादों की शम्मा को जला के कभी,
जवाब देंहटाएंबेदर्दी से उसको बुझाना न पड़े,
करीबी लोगो से रखना परहेज,
कहीं बाद में धोखा खाना न पड़े
वाह बहुत बडिया बहुत दिन बाद आने के लोये क्षमा चाहती हूँ बधाई
bahut ache bhav likhe hai apne..
जवाब देंहटाएंbadhayee sweekare
"काश कोई रिश्ता निभाना न पड़े,
जवाब देंहटाएंकिसी को यूँ छोड़ के जाना न पड़े,
यादों की शम्मा को जला के कभी,
बेदर्दी से उसको बुझाना न पड़े,
करीबी लोगो से रखना परहेज,
कहीं बाद में धोखा खाना न पड़े..."
A brilliant poem...I was reminded of a couplet here: "Samajhte the magar phir bhi na rakhi dooriyan humne, chiragon ko jalane mein jala li ungaliyan humne"
The ending of your poem was all the more meaningful... "बुला ले खुदा दूर इतना मुझे, ज़माने की महफ़िल में आना न पड़े!"
If wishes were granted so easily...!!! "iss bheed mein akele chalna na pade..."
करीबी लोगो से रखना परहेज,
जवाब देंहटाएंकहीं बाद में धोखा खाना न पड़े,
तन्हाई में पी लूँ आज कुछ मैं ऐसे,
मयखाने में जाम छलकाना न पड़े...
वाह बहुत सुंदर रचना लिखा है आपने! हर एक पंक्तियाँ लाजवाब है!
यादों की शम्मा को जला के कभी,
जवाब देंहटाएंबेदर्दी से उसको बुझाना न पड़े,
करीबी लोगो से रखना परहेज,
कहीं बाद में धोखा खाना न पड़े,
bahut acha likha hai,
biklul realistic type se..
acha laga composition parke..
करीबी लोगो से रखना परहेज,
जवाब देंहटाएंकहीं बाद में धोखा खाना न पड़े,
वाह...बहुत खूब कहा है...असर दार ग़ज़ल है...लिखते रहें...
नीरज
Peeda ko bahut hi prabhavi abhivyakti mili hai aapki is rachna me...
जवाब देंहटाएंJab dil tootta hai..to sachmuch yahi bhaav man me aaya karte hain...
Bahut hi sundar rachna hai...aabhar.
Kaash! kaash! kaash!
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