बधाई स्वीकार करें, चावला जी! सच में, कोई और नहीं वो औरत है! और जो, मूंह खाए पर आँख 'ना' लजाये, वो मर्द! फिर महिला आरक्षण अधर में लटक गया! भारत माता की जय!
you very beautifully paid yours gratitude to woman's greatness and importance, through your composition... I liked some quotes very much as - माँ की परछाई जिस में है, कोई और नहीं वो औरत है, ममता का सागर नैनों में, लज्जा सर्वप्रथम गहनों में, भावुकता की दरिया जिस में, दुःख सह के भी राहत जिस में, कोई और नहीं वो औरत है,
how sweat! Beautiful....I would like to say..we always fight challenges because we deserve it.
जवाब देंहटाएंItnee sundar rachana pesh kee hai! Aapko bhi naman hai!
जवाब देंहटाएंbahut sundar kavita likhi hai aur uske bhaav bhi bahut hi sundar hain.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भाव के साथ आपने बेहद ख़ूबसूरत रचना लिखा है! बहुत अच्छा लगा!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति!
जवाब देंहटाएंमातृ-शक्ति को नमन!
Hello ji,
जवाब देंहटाएंWhat a nice way of showing the respect!!
Aapne apni kalaa se naa jaane kitne logo ka mann harr liya :)
Bahut achha likha hai...
Couldn't have been better than this -- What else I may say :-)
Regards,
Dimple :)
बहुत सुन्दर लिखा है...
जवाब देंहटाएंांअज महिला दिवस पर बहुत अच्छी रचना है। बधाई और आशीर्वाद्
जवाब देंहटाएंreally nice one.....
जवाब देंहटाएंkya baat hai
जवाब देंहटाएंbhaut sahi likha hai apne..aaj ke din ek achi rachna mili padne ko
sakhi
बधाई स्वीकार करें, चावला जी!
जवाब देंहटाएंसच में, कोई और नहीं वो औरत है!
और जो, मूंह खाए पर आँख 'ना' लजाये, वो मर्द! फिर महिला आरक्षण अधर में लटक गया!
भारत माता की जय!
more beautyful and more senstive to women. thaks for method of expression
जवाब देंहटाएंसुरेन्द्र भाई
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा पोस्ट
नारी का दर्जा हमेशा से ऊँचा रहा है और रहेगा
आभार....................
सुरेन्द्र भाई
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा पोस्ट
नारी का दर्जा हमेशा से ऊँचा रहा है और रहेगा
आभार....................
you very beautifully paid yours gratitude to woman's greatness and importance, through your composition...
जवाब देंहटाएंI liked some quotes very much as -
माँ की परछाई जिस में है,
कोई और नहीं वो औरत है,
ममता का सागर नैनों में,
लज्जा सर्वप्रथम गहनों में,
भावुकता की दरिया जिस में,
दुःख सह के भी राहत जिस में,
कोई और नहीं वो औरत है,
महिला दिवस पर बहुत अच्छी रचना। बधाई!!
जवाब देंहटाएंएक चित्ताकर्षक बैकड्राप पर सुन्दर कविता -नारी के विविध रूपों को दर्शाती -बहुत खूब !
जवाब देंहटाएं