गुरुवार, 25 मार्च 2010

ख़्वाबों में लाने के लिए!

इक दरख्वास्त तुझ से की है,
नज़र-ए-जाम पिलाने के लिए,
कतरा-ए-आब(१) ही काफी है सादिक,
मुझे होश में लाने के लिए,
अबरू(२) ये तीखी कम नहीं,
हूरे-सल्तनत हिलाने के लिए,
इन्ही से घायल कर मुझको,
वक़्त नहीं तलवार चलाने के लिए,
देर हुई तो कहीं दम न तोड़ दूं,
हकीम मिलता नहीं ज़ख्म सिलाने के लिए,
जो कहीं नागहाँ(३) दूर चला भी जाऊं,
साँसों से छू लेना मुझे जिलाने के लिए,
हर कीमत देने काबिल हूँ मैं,
तुझे न कभी भुलाने के लिए,
चल अब आँखें मूँद लेता हूँ,
सोना तो पड़ेगा तुझे ख़्वाबों में लाने के लिए!
**********************************************
(1) पानी का एक कतरा (२) भोहें (३) दुर्घटनावश **********************************************

20 टिप्‍पणियां:

  1. चल अब आँखें मूँद लेता हूँ,
    सोना तो पड़ेगा तुझे ख़्वाबों में लाने के लिए!

    इन मखमली शेरों को पेश करने के लिए मुबारकवाद!

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  2. आमीन, खुदा करे ये खाब रोज़ आये.
    दुआ करो सब ये खाब हकीकत बन जाए

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  3. चल अब आँखें मूँद लेता हूँ,
    सोना तो पड़ेगा तुझे ख़्वाबों में लाने के लिए!

    bhai Waah! maza aa gaya

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  4. Hello,

    Kabil-e-tareef ke liye kaun saa lafz ijaad karu yeh mujhe samajh nahi aata...
    Teri kalaa ko sarhaane ke liye kya bayaan karu yeh mujhe samajh nahi aata!!!

    Bus itna kahungi... roz ek suhaana khwaad dekho aap aur roz kavita ke roop mein hum padd le usko...

    Regards,
    Dimple
    http://poemshub.blogspot.com

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  5. वाह...बहुत सुन्दर....लाजवाब ग़ज़ल...

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  6. वाह अद्भुत सुन्दर रचना! लाजवाब! इस बेहतरीन रचना के लिए बधाई!

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  7. surendar bhai jio
    kya likhaha yar
    चल अब आँखें मूँद लेता हूँ,
    सोना तो पड़ेगा तुझे ख़्वाबों में लाने के लिए!
    mubarkan

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  8. चल अब आँखें मूँद लेता हूँ,
    सोना तो पड़ेगा तुझे ख़्वाबों में लाने के लिए!

    jane kya kya karna padega tujhe apna banane ke liye

    -Shruti

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  9. अबरू ये तीखी कम नहीं,
    हूरे-सल्तनत हिलाने के लिए,
    इन्ही से घायल कर मुझको,
    वक़्त नहीं तलवार चलाने के लिए.
    umda.

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  10. bas yeah bata de... ke ek sardar ney itni aachi urdu kahan se seekhe :)

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  11. इक दरख्वास्त तुझ से की है,
    नज़र-ए-जाम पिलाने के लिए,
    कतरा-ए-आब(१) ही काफी है सादिक,
    मुझे होश में लाने के लिए,

    बहुत खूब ....!!

    अबरू(२) ये तीखी कम नहीं,
    हूरे-सल्तनत हिलाने के लिए,
    इन्ही से घायल कर मुझको,
    वक़्त नहीं तलवार चलाने के लिए...

    लाजवाब....वाह....!!

    जो कहीं नागहाँ(३) दूर चला भी जाऊं,
    साँसों से छू लेना मुझे जिलाने के लिए

    एक एक पंक्ति सीधे उतरती है .....!!

    चल अब आँखें मूँद लेता हूँ,
    सोना तो पड़ेगा तुझे ख़्वाबों में लाने के लिए!

    ओये होए .....!!

    दिल से लिखी नज़्म ....!!

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  12. हर कीमत देने काबिल हूँ मैं,
    तुझे न कभी भुलाने के लिए,
    इन पंक्तियों ने दिल छु लिया बेहद पसंद आई..."
    regards

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  13. Aaj fursat me phir ekbaar rachana padhane chali aayi...Urdu language is your strong hold...uske alawa hamesha mauzoom abhiwyakti...aur kuchh kahneki qabiliyat nahi hai, yahi sach hai..

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  14. आपकी पोस्ट की चर्चा यहाँ भी की गई है-

    http://charchamanch.blogspot.com/2010/04/blog-post_6838.html

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