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ये कशिश यूँ हीं बनी रहे.
wah..... surendrar jirachna me kashish hai bhai man jaye ......ap kobadhaiyan.................
WAAH ...WAAH...WAAH...LAJAWAAB !!!
रचना नाम से ही कशिश नही है वाकई इसमे कशिश है। लाजवाब मुझे आपकी उर्दु से बहुत से शब्द सीखने को मिलते हैं धन्यवाद्
A nice composition as always
इस उम्दा गजल के लिएमुबारकवाद कुबूल करें!
Hello,Bahut achha likha hai... The entire description and the pic -- dono ka taal-mail achha lakh raha hai...Beautiful :)Regards,Dimps
वाह इतना सुन्दर ग़ज़ल लिखा है आपने की मैं निशब्द हो गयी! लाजवाब!
Ham thoda der aaye par durust aaye......Husn ke mulazim banane ki ye iltiza acchi lagi...Lekin thoda sambhal ke :-)
ये कशिश यूँ हीं बनी रहे.
जवाब देंहटाएंwah.....
जवाब देंहटाएंsurendrar ji
rachna me kashish hai
bhai man jaye ......ap ko
badhaiyan.................
WAAH ...WAAH...WAAH...LAJAWAAB !!!
जवाब देंहटाएंरचना नाम से ही कशिश नही है वाकई इसमे कशिश है। लाजवाब मुझे आपकी उर्दु से बहुत से शब्द सीखने को मिलते हैं धन्यवाद्
जवाब देंहटाएंA nice composition as always
जवाब देंहटाएंइस उम्दा गजल के लिए
जवाब देंहटाएंमुबारकवाद कुबूल करें!
Hello,
जवाब देंहटाएंBahut achha likha hai... The entire description and the pic -- dono ka taal-mail achha lakh raha hai...
Beautiful :)
Regards,
Dimps
वाह इतना सुन्दर ग़ज़ल लिखा है आपने की मैं निशब्द हो गयी! लाजवाब!
जवाब देंहटाएंHam thoda der aaye par durust aaye......Husn ke mulazim banane ki ye iltiza acchi lagi...Lekin thoda sambhal ke :-)
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