शनिवार, 20 फ़रवरी 2010

खताएं भुला दे!

तन्हाई में ग़ुम मैं तेरा आदी हो गया हूँ,
कम से कम अब मेरी खताएं भुला दे,
ख़याल-ए-वस्ल(१) की हाफिजा(२) कुछ और जी लूं,
नींद और हो गहरी साया-ए-ज़ुल्फ़ फैला दे,
कुछ ऐसा हो के मुहब्बत कामिल(३) हो मेरी,
चंद बचे पलों में दो पल अपने मिला दे,
राज़-ओ-नियाज़(४) तुझसे करूँ कुछ वक़्त जो मिले,
आगोश में ले और ख़्वाबों में झुला दे,
इक छुअन से तू मेरी यास(५) ज़िन्दगी बदल दे,
कगार-ए-मौत पे बुझती हुई शम्मा जला दे!
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(१) मिलने के ख्याल (२) मीठी यादें (३) पूरी (४) वो बातें जो बस आशिकों के बीच होती हैं
(५) जिसमें कोई उम्मीद न हो
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आपका,
सुरेन्द्र!

17 टिप्‍पणियां:

  1. Best creation surendra!aapki urdu feelings ke expression mein aur zyada jaan daal deti hai ......Fantastic work indeed :-)

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  2. इक छुअन से तू मेरी यास(५) ज़िन्दगी बदल दे,
    कगार-ए-मौत पे बुझती हुई शम्मा जला दे!

    बहुत बेहतरीन भाव लिए हुए सुन्दर अभिव्यक्ति!

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  3. तन्हाई में ग़ुम मैं तेरा आदी हो गया हूँ,
    कम से कम अब मेरी खताएं भुला दे,..bahut sundar lagi aapki yah rachna shukriya

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  4. कुछ ऐसा हो के मुहब्बत कामिल(३) हो मेरी,
    चंद बचे पलों में दो पल अपने मिला दे,

    बहुत खूबसूरत .....गहरे जज़्बात...

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  5. तन्हाई में ग़ुम मैं तेरा आदी हो गया हूँ,
    कम से कम अब मेरी खताएं भुला दे,
    ख़याल-ए-वस्ल(१) की हाफिजा(२) कुछ और जी लूं,
    नींद और हो गहरी साया-ए-ज़ुल्फ़ फैला दे,
    Kya baat hai!

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  6. अच्छा लिखा है अपने

    इक छुअन से तू मेरी यास(५) ज़िन्दगी बदल दे,
    कगार-ए-मौत पे बुझती हुई शम्मा जला दे!
    जरूर जलेगी शम्मा

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  7. तन्हाई में ग़ुम मैं तेरा आदी हो गया हूँ,
    कम से कम अब मेरी खताएं भुला दे,
    सुरिन्दर बहुत कमाल की रचना है । भाव और शब्दों का मेल अद्भुत है। बहुत बहुत बधाई।

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  8. बहुत ही सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ आपने शानदार रचना लिखा है! बधाई!

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  9. "Dua uss khuda se
    ik baar phir se mila de,
    umr bhar ka saath na sahi
    pal bhar ki khushi dila de..."
    See your poems inspire me to come up with something. Loved your poem..thanks for sharing.

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  10. बेहतरीन उर्दू! राज़-ओ-नियाज़ की यादें ताज़ा हो गयीं!

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  11. तन्हाई में ग़ुम मैं तेरा आदी हो गया हूँ,
    कम से कम अब मेरी खताएं भुला दे,
    shandar hai janab, shukriya

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  12. भाई वाह बहुत खूबसूरत नज़्म

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  13. Hello,

    Last two lines --- killer!!! :)
    Good job done, once again :)

    Regards,
    Dimple

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  14. सुरेन्द्र जी,
    आपने यहाँ बिलकुल मेरे दिल के लफ्ज़ बोले हैं |
    पढ़ते हुए लगा ही नहीं कि मैं किसी और की रचना को पढ़ रहा हूँ, ऐसा लगा बस जो मेरे दिल में है, में उसको सामने लिखा देख रहा हूँ |
    बहुत अच्छी लगी मुझे आपकी रचना, तहे दिल से मुबारक

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