जमात में मेरे मरने पर रोने वालो की कमी नही थी,
दफ़नाने मेरी मिटटी को किस्मत में दो गज ज़मी नही थी,
हलकी हलकी सी नमी तो बदन को महसूस हुई लेकिन,
मेरे जाने की खुशबु ऐ गम अभी पूरी तरह रमी नही थी,
शायद तेरे इंतज़ार में जो अश्को के दरिया बहाए,
मर के भी रफ़्तार उनकी दिल में मेरे थमी नही थी,
गर इक बार तू जनाजे पे नज़र-ऐ-इनायत कर देती,
ख्वाहिश पूरी हो जाती जो बर्फ नुमा जमी नही थी,
बस अब चलते हैं सफर पूरा कर के इस दुनिया का,
धुंधली हो गयी आरजूएं जो शायद कभी घनी नही थी!
mar ke bhi raftar unki dil main mere thami nhn thi...
जवाब देंहटाएंdhundli ho gaye aarjuyn jo shayad kabhi ghani nhn thin...
bahut marmik panktiyan hain...
A touching composition...
Waah!
जवाब देंहटाएं'Ek dariyaa chala dard kaa,
Saath ho liye kuchh jharne,
karwayen dard badhta gaya,
Aage chal samandar me kho gaya..'
khaash aisa dard duniya me nahi hoti ......shubhkamanaye
जवाब देंहटाएंdard ko poori tarah ubhar diya hai...........bahut hi gahri kashish hai rachna mein.........bahut gahre bhav hain.........shandar
जवाब देंहटाएंहलकी हलकी सी नमी तो बदन को महसूस हुई लेकिन,
जवाब देंहटाएंमेरे जाने की खुशबु ऐ गम अभी पूरी तरह रमी नही थी,
dil se likhi ahsaso se bhari ek khoobsurat nazam...
दर्द भरी भावपूर्ण रचना...
जवाब देंहटाएंbahut dard bhara ahsaas shabdo me piroya hai apne...
जवाब देंहटाएंThanks for coming on my blog and appreciating.
जवाब देंहटाएंPlease note down my email id:
rural.om@gmail.com
omji.arya@gmail.com
In previous comment I forgot to give the id. thanks
dard ko bayan kiya hai ....khoobsoorat hai...wakai difficult task!
जवाब देंहटाएंजमात में मेरे मरने पर रोने वालो की कमी नही थी,
जवाब देंहटाएंदफ़नाने मेरी मिटटी को किस्मत में दो गज ज़मी नही थी,
वाह.....!!!
हलकी हलकी सी नमी तो बदन को महसूस हुई लेकिन,
मेरे जाने की खुशबु ऐ गम अभी पूरी तरह रमी नही थी,
बहुत खूब....!!!!!
वाकई में आपने बड़े ही सुंदर रूप से दर्द को बयान किया है! लाजवाब रचना! काश की दुनिया में कभी किसीको दर्द नहीं मिलता सिर्फ़ खुशियाँ ही खुशियाँ मिलती !
जवाब देंहटाएंI thnk this creation is superb..
जवाब देंहटाएंismein sabhi emotions ko bahut hi
aasani se present kiya hai!!
Likhte rahiye.. :)
धुंधली हो गयी आरजूएं जो शायद कभी घनी नही थी!
जवाब देंहटाएंNicely written! Great job.
Regards,
Dimple
http://poemshub.blogspot.com
बस अब चलते हैं सफर पूरा कर के इस दुनिया का,
जवाब देंहटाएंधुंधली हो गयी आरजूएं जो शायद कभी घनी नही थी!
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un aarzuoo ka dhundhlaa ho jana wo kabhi ghani nahi thi..
jaise ruth jana us kismat ka jo kabhi meri nahi thi..
जमात में मेरे मरने पर रोने वालो की कमी नही थी,
जवाब देंहटाएंदफ़नाने मेरी मिटटी को किस्मत में दो गज ज़मी नही थी,
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what a oxymoron....
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बस अब चलते हैं सफर पूरा कर के इस दुनिया का,
धुंधली हो गयी आरजूएं जो शायद कभी घनी नही थी!
गर इक बार तू जनाजे पे नज़र-ऐ-इनायत कर देती,
जवाब देंहटाएंख्वाहिश पूरी हो जाती जो बर्फ नुमा जमी नही थी,
बहुत बढ़िया!
बाट तकते रहे, ख्वाब बुनते रहे,
उनकी राहों से काँटे ही चुनते रहे,
जान बिस्मिल हुई, फूल कातिल हुए।
मेरी मय्यत में भी वो ना शामिल हुए।।