ये चाँद सितारे और फूल खिलखिलाते,
ये सब क्या हैं तेरे आगे,
गुलाब की पंखुडियां और भवरे मंडराते,
ये सब क्या हैं तेरे आगे,
सूरज की मीठी तपिश में पक्षी चेहचाहाते,
ये सब क्या हैं तेरे आगे,
पहाडों से छम छम ये झरने लहलहाते,
यह सब क्या हैं तेरे आगे,
मयकश साकी की शान में बंदिशें सुनाते,
यह सब क्या हैं तेरे आगे,
पीर खुदा के सजदे में कलमे जो गाते,
यह सब क्या हैं तेरे आगे,
जन्नत-ऐ-हूर भी तेरे हुस्न के चर्चे गाते,
यह सब क्या हैं तेरे आगे!
वाह वाह क्या बात है आज तो पूरे रंग मे हो बेटा बधाई बहुत सुन्दर कविता है
जवाब देंहटाएंbahut dil laga kar likhte hain aap
जवाब देंहटाएंkhoobsurat,,
सब कुछ तो आपने खुद ही बता दिया क्या है जनाब ......अच्छी शुरुआत .....!!
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा लगा! रचना की एक एक लाइन में बहुत गहराई है और दिल से लिखा है आपने हर एक शब्द! बहुत खूब!
जवाब देंहटाएंश्री गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनायें!
bahut sunder aur pyari composition hai!!!
जवाब देंहटाएंye to ek ibaadat lagtee hai..!
जवाब देंहटाएंजन्नत-ऐ-हूर भी तेरे हुस्न के चर्चे गाते,
जवाब देंहटाएंयह सब क्या हैं तेरे आगे!
वाह..!
क्या समर्पण है?
मुबारकवाद कुबूल करें।
thanx for ur sweet comment and lovely poem.
जवाब देंहटाएंaapki sabhi kavitaa bahut acchi hai....
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