मंगलवार, 18 अगस्त 2009

शायद फिर न उठ पाऊँ!

क्या मिला मुझे दुनिया में अपने होने के बाद,

अश्कों ने साथ छोड़ दिया हर पल रोने के बाद,

किया करते थे गुमां जिनकी दोस्तियों पे हम,

न रहे वो भी अपने सब कुछ खोने के बाद,

अब क्यों मैं हर पल हँसता हूँ रोने का बाद,

क्या जीना फिर भी पड़ता है खोने के बाद,

जाते जाते मेरा आखिरी सलाम तू ले जा,

शायद फिर न उठ पाऊँ रात सोने के बाद!

8 टिप्‍पणियां:

  1. किया करते थे गुमां जिनकी दोस्तियों पे हम,

    न रहे वो भी अपने सब कुछ खोने के बाद,

    बहुत खूब .सुन्दर अभिव्यक्ति

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  2. Hame to har hansee ke baad roke qeemat chukanee padee..dua kartee hun, aapko aasoon milehee naa,gar mile, to har asoon ke baad karodon khushiyaan milen!

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  3. अब क्यों मैं हर पल हँसता हूँ रोने का बाद,

    क्या जीना फिर भी पड़ता है खोने के बाद,
    is umar me nirashajank abhivyakti? ye to sahi baat nahin hai magar aapakee rachana bahut badiya samvedanaaon se bhar poor hai aaj hindi font nahin chal raha shubhakaamanaayen agli rachana sakaratmak honi chahiye

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  4. अब क्यों मैं हर पल हँसता हूँ रोने के बाद...
    क्या जीना फिर भी पड़ता है खोने के बाद....
    Achi panktiyan hain.....
    Truly expressing yours emotions...
    Nice composition :-)

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  5. श्री चावला जी।
    आपकी इस रचना के लिए मेरे पास एक ही शब्द है-
    बेहतरीन!
    3 बार टिप्पणी कर चुका हूँ।
    मगर अब सफलता मिली है।

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  6. खोने के बाद तनाव में यही दिमाग सोचता है
    .....शायद फिर न उठ पाऊँ रात सोने के बाद

    http://somadri.blogspot.com

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