शुक्रवार, 3 जुलाई 2009

खुदा के करीब.....

दुनिया में दोस्त बहुत बनाए, ख़ुद से ही ख़ुद के होने को......
कुछ पास रहे ता उम्र मेरे, कुछ छोड़ गए मुझे रोने को......
पर जब से तुझे बनाया, अपना हमसफ़र ए मेरे खुदा.....
सब पाया मैंने जी भर के, कुछ बचा नही है खोने को......
सजदे में झुका के सर अपना, तुझ से बातें कर लेती हूँ.....
जन्नत सी तेरी उस दुनिया के, दीदार-ए-नज़र कर लेती हूँ....
है पास मेरे दुनिया लेकिन, कोई नही रूहानी शख्सियत का.....
नैनो में बसा मूरत तेरी, कलमा तेरे हक पढ़ लेती हूँ.....
नाचीज़ हूँ मैं तेरे दर की, कभी मुझको दूर न कर देना.....
गलती सी भी कोई गलती हो, बस माफ़ मुझे तू कर देना.....
मेरा सजदा तू, मेरा कलमा तू, तू है सबका, मेरा सब कुछ तू.......
फरियाद करूँ बस ये तुझ से, रहम ओ करम सब पे कर देना.......
कबूल कर ले बस येही दुआ.....झोली खुशियों से भर देना.....
झोली खुशियों से भर देना.....झोली खुशियों से भर देना.....

1 टिप्पणी:

  1. दुनिया में दोस्त बहुत बनाए, ख़ुद से ही ख़ुद के होने को......
    कुछ पास रहे ता उम्र मेरे, कुछ छोड़ गए मुझे रोने को......

    bahut hi achhi lines hai...

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