बुधवार, 15 जुलाई 2009

अभी न उठाओ मुझको....

अपनी जुल्फों के साए में सोने दो ज़रा अभी न उठाओ मुझ को....
एहसासों को कुछ और नम होने दो ज़रा अभी न उठाओ मुझ को....
मुझ ज़र्रे को बालों का फूल होने दो ज़रा अभी न उठाओ मुझ को....
खुदा समझ के सजदे में खोने दो ज़रा अभी न उठाओ मुझ को....
अपनी बाहों के दरमियान समोने दो ज़रा अभी न उठाओ मुझ को....
ख़ुद को झील-नुमा आँखों में डुबोने दो ज़रा अभी न उठाओ मुझ को....
अपने ख़्वाबों में आ के खोने दो ज़रा अभी न उठाओ मुझ को....
अपने आगोश में भर के जीने दो ज़रा अभी न उठाओ मुझ को....
रुखसार की मय मुझे पीने दो ज़रा अभी न उठाओ मुझ को....
कुछ चाक जिगर के सीने दो ज़रा अभी न उठाओ मुझ को....
अभी न उठाओ मुझ को....अभी न उठाओ मुझ को....

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